समसामयिकी

By: Mar 29th, 2017 12:07 am

आइडिया और वोडाफोन का विलय

cereerब्रिटेन के टलीकॉम आपरेटर वोडाफोन ग्रुप और आदित्य बिड़ला ग्रुप के आइडिया सेल्युलर ने अपनी भारतीय इकाइयों के विलय की घोषणा कर दी। इसी के साथ यह देश का सबसे बड़ा टेलीकॉम आपरेटर बन गया। दरअसल, मुकेश अंबानी के जियो 4जी के तहत मुफ्त पेशकश और फिर अग्रेसिव टैरिफ प्लान के चलते टेलिकॉम क्षेत्र में पैदा हुई जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बीच यह मर्जर महत्त्वपूर्ण बन पड़ा है। अब देखना यह है कि नई कंपनी इस कंपीटीशन में किस पायदान पर रहती है। आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि मर्जर के बाद कोई खास बड़े स्तर पर लोगों को हटाए जाने का फैसला लेने की कोई योजना फिलहाल नहीं है। उन्होंने कहा कि वह नई कंपनी के चेयरमैन बनकर खुश हैं और बेहद सम्मानजनक महसूस कर रहे हैं। वोडाफोन समूह के सीईओ विट्टोरियो कोलाओ ने कहा- वोडाफोन इंडिया और आइडिया के विलय से डिजिटल इंडिया का एक नया चैंपियन तैयार होगा। यह विलय दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और पूरे भारत के गांवों, शहरों और कस्बों में विश्वस्तरीय 4जी नेटवर्क लाने के ध्येय से किया गया है। कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि हमें अब तक समर्थन देने वाले आइडिया के शेयर होल्डर्स और कर्जदाताओं के लिए यह विलय बेहद फायदे का सौदा साबित होगा। आइडिया और वोडाफोन साथ मिलकर एक बेहद महत्त्वपूर्ण कंपनी बनाएंगे। आइडिया ने एक बयान में कहा कि वोडाफोन के पास संयुक्त कंपनी की 45.1 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जबकि आइडिया के पास 54.9 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी। आदित्य बिड़ला समूह के पास इस विलय के बाद 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी और उसे समय के साथ हिस्सेदारी बराबर करने के लिए वोडाफोन से और अधिक शेयर लेने का अधिकार होगा। दोनों कंपनियों के विलय की प्रक्रिया पूरी होने में दो साल का वक्त लगेगा। विलय के इस एग्रीमेंट में वोडाफोन के इंडस टावर्स में 42 फीसदी की हिस्सेदारी शामिल नहीं है। मर्जर के बाद 4 करोड़ यूजर बेस और टेलीकॉम मार्केट का 35 फीसदी तथा 41 फीसदी रेवेन्यू शेयर इनके हिस्से में आएगा। आइडिया के प्रोमोटर्स के पास एकाधिकार होगा कि वे किसे चेयरपर्सन नियुक्त करते हैं। हालांकि सीईओ और सीओओ की नियुक्ति को लेकर दोनों प्रोमोटर्ज मिल कर फैसला लेंगे और दोनों की ही सहमति इसके लिए आवश्यक होगी। आइडिया सेल्युलर ने कहा कि उसके निदेशक मंडल ने वोडाफोन इंडिया लिमिटेड और उसके पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी वोडाफोन मोबाइल सर्विस लिमिटेड के कंपनी (आइडिया) के साथ विलय को मंजूरी दे दी है। सितंबर में अंबानी के 4जी जियो सिम के आने के बाद रिलायंस द्वारा दी गईं तमाम मुफ्त सुविधाओं के चलते जहां जियो का यूजर बेस करोड़ का आंकड़ा पार गया, वहीं दूसरी टेलीकॉम कंपनियों में हलचल मच गई थी।


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