साहित्य और मीडिया पर उपभोक्ता संस्कृति का ग्रहण

By: Mar 20th, 2017 12:04 am

सुमित शर्मा

आज की उपभोक्ता संस्कृति में उपभोक्ता राजा कहलाता है। यह बात दीगर है कि राजा है कौन? उपभोक्ता या बाजार तथा उसे संचालित करने वाले कारपोरेट। पहले उपभोक्ता को लुभाने के लिए मीडिया का सहारा लिया जाता था और उसका भागी बनता था साहित्य। सोशल मीडिया के आने के बाद यह तस्वीर पुरानी हो चुकी है; जिसमें कट-पेस्ट के अलावा प्रतिष्ठित नामों को घसीटने की नई प्रवृत्ति भी सामने आई है। हद तो तब हो जाती है जब हरिवंश राय बच्चन उर्दू में शायरी करते नजर आते हैं। अब सोशल मीडिया के खिलाडि़यों से उलझे कौन और समझाए कौन। रही-सही कसर फेसबुक ने पूरी कर दी। दो ध्रुवों पर खड़े लोग निष्पक्षता की कोई गुंजाइश नहीं रखते। आप अगड़म बोलें या बगड़म, पर सही बात नहीं बोल सकते। कारण, आपको सुनने वाला कोई नहीं होता। धर्मशाला में दो वर्ष पूर्व फैली रेप की अफवाह इसकी बेहतर मिसाल है।

विगत में पारंपरिक मीडिया की सशक्त विधा रेडियो ने साहित्य की अलख जगाने में अहम भूमिका निभाई। रामचरित मानस, गांधीजी की आत्मकथा, दिग्गज साहित्यकारों की कहानियां, नाटक, गीत, गजल आदि को वह आज भी जन-जन तक पहुंचा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया का असर रेडियो पर भी पड़ा। पहले लोग चिठ्ठियां लिखते थे, अपना फरमाइशी गीत/कार्यक्रम सुनने और प्रतिक्रियाएं दर्ज करवाने हेतु। अब एसएमएस ने उनकी जगह ले ली है। इसकी वजह से रेडियो कार्यक्रमों में नया आयाम जुड़ा। फेसबुक, ट्विटर आदि से प्रचार-प्रसार आम बात है।

श्रोता अब ब्हाट्सऐप, ई-मेल आदि से भी कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। कई रेडियो स्टेशन के अपने वेबसाइट्स हैं जिनसे पूर्व प्रसारित कार्यक्रम सुने जा सकते हैं। कम्युनिटी रेडियो भी प्रभावी भूमिका में है, लेकिन समस्याएं भी बढ़ी हैं। भागमभाग के इस युग में किसी के पास टिककर काम करने का समय नहीं और साहित्य मांगता है धैर्य एवं संयम। पारंपरिक मीडिया में त्वरा थी किंतु सोशल मीडिया तो बिना सोचे-समझे तोपें दाग रहा है। बेहतर हो साहित्य को बाजार से अलग किया जाए; पारंपरिक मीडिया को बाजार नहीं सहकार संचालित करे। सोशल मीडिया का विवेकपूर्ण इस्तेमाल हो, नहीं तो अमरीकी चुनावों की मिसाल सामने है और उसके परिणाम भी।

-साहित्य तथा जम्मू विवि के विभिन्न पाठ्यक्रमों से संबद्ध आकाशवाणी, धर्मशाला के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी सुमित शर्मा, गांधीवादी कार्यकर्ता हैं। उनका उपन्यास ‘प्रोजेक्ट क्वेस्ट’ प्रकाशनाधीन है।  


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App