सेब के गीले पौधों पर दवाई का छिड़काव न करें

By: Mar 28th, 2017 12:05 am

मार्च के महीने में सेब बागबान ही स्प्रे आयल या हॉर्टिकल्चरल मिनरल आयल छिड़कने में व्यस्त रहते हैं। इसका स्प्रे विशेषकर सैनजो स्केल को मारने के लिए किया जाता है। यह सेब का एक प्रमुख हानिकारक कीट है। इससे कम प्रकोपित पौधों की छाल पर छोटे-छोटे सूई की नोक जैसे भूरे रंग के धब्बे नजर आते हैं और अधिक प्रभावित पौधों पर यही धब्बे  एक-दूसरे से मिलकर ऐसे दिखाई देते हैं जैसे पौधे पर राख का छिड़काव किया गया हो। पौधों की बढ़ोतरी रुक जाती है और पौधे सूखने लगते हैं। यह कीट एक कवच के नीचे छिपा रहता है और पेड़ से रस चूसता रहता है। अधिक संक्रमण होने पर पौधा मर भी जाता है। ्रसर्दियों में जब पौधे सुप्तावस्था में होते हैं उन पर डॉरमेंट आयल छिड़कने की सिफारिश की जाती है। हॉर्टिकल्चरल आयल पेट्रोलियम तेल को शुद्ध करके तैयार किया जाता है, जो कि डॉरमेंट आयल या समर आयल छिड़काव के समय के अनुसार कहा जाता है। हॉर्टिकल्चरल आयल सुरक्षित, प्रभावशाली तथा मित्र कीटों को नुकसानदायक नहीं है। यह कीटों को उनके सांस लेने  के छिद्रों को बंद करके उन्हें मारता है। सुप्तावस्था में इसका छिड़काव स्केल के अलावा माइट, एफिड आदि जो कि पौधों पर सर्दियां बिताते हैं, को नियंत्रित करने के लिए करते हैं। तेल का स्प्रे इस तरह करते हैं कि पूरा पौधा तर हो जाए, जिससे उस पर एक परत सी बन जाती  है। हॉर्टिकल्चरल मिनरल आयल बाजार में विभिन्न नामों जैसे मैक आल सीजन, सर्वो, आर्बोफाइन, आदि से उपलब्ध है। इनका  छिड़काव सेब पर करने का उचित समय हरी कली से टाईट कलस्टर अवस्था तक है। तेल का छिड़काव करने से पूर्व हिदायतों को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए। 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर या अधिक सर्दी में कम तापमान पर इनका छिड़काव नहीं करना चाहिए। अगर पौधा अधिक गीला हो या वर्षा की संभावना हो, तब भी छिड़काव न करें। छिड़काव करने के लिए 200 लीटर के ड्रम में चार लीटर तेल डालकर इसमें पानी मिलाएं ताकि घोल की कुल मात्रा 200 लीटर हो जाए। प्रायः मार्च के महीने में पौधों में  रस चलने के साथ सैंजो स्केल सक्रिय होने लगता है अतः यही समय छिड़काव के लिए  उपयुक्त होता है। छिड़काव करते वक्त घोल को बार-बार हिलाना आवश्यक होता है  मई के महीने में जब फल, मटर के दाने के बराबर होते हैं दो लीटर तेल से 200 लीटर का घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे सभी प्रकार के कीड़ों के अंडों के साथ-साथ पाउडरी मिल्ड्यू का भी नियंत्रण होता है।

सौजन्यः डा. राकेश गुप्ता, छात्र कल्याण अधिकारी, डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,सोलन


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