हफ्ते का खास दिन

By: Mar 5th, 2017 12:05 am

जाकिर हुसैन

जन्मदिवस 9 मार्च, 1951

जाकिर हुसैन तबला वादन और संगीत दोनों ही क्षेत्रों के अंतरराष्ट्रीय महारथी हंै। वह एक शास्त्रीय तबला वादक हैं, जो उत्कृष्ट तरीके से तबला बजाते हैं। बेहतर तरीके से तबला बजाने की उनकी इस कला ने उन्हें अपने देश भारत में ही नहीं बल्कि विश्व  में प्रसिद्धि दिलवाई। जब भी वह तबला बजाते हैं, तो उससे निकलने वाले संगीत और धुन से काफी अंतर्बोध होता था। वह पूरी निपुणता से अपना तात्कालिक प्रदर्शन करते हुए, अपने तबले की धुन से लोगों के दिलों को छू जाते हैंे। तबला बजाने की उनकी कलाएं उनके ज्ञान और अभ्यास को देखकर सभी अचंभित हैं। जाकिर हुसैन ने अपने जीवन में भारतीय फिल्म जगत के कई महान गायन, नर्तक और अभिनेताओं के साथ प्रदर्शन किया है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के विकास में उनके योगदान को कोई नहीं भूल सकता, उन्होंने अपने हुनर से भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उनके इस योगदान में उनका ऐतिहासिक योगदान ‘शक्ति’ भी शामिल है, जिसकी स्थापना उन्होंने जॉन मैकलौघ्लीन और एलशंकर के साथ मिलकर की थी। संगीत और तबला वाद्य के क्षेत्र में उनके इस महान योगदान को देखते हुए अप्रैल 2009 में उन्हें सम्मानित भी किया गया था। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1988 में पद्म श्री और 2002 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1990 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। यही नहीं,  1999 में उन्हें यूनाइटेड स्टेट नेशनल एंडोमेंट द्वारा कला के क्षेत्र में भी पुरस्कृत किया गया था, जो कि किसी भी कलाकार और संगीतकार को मिलने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। जाकिर हुसैन का जन्म महान तबला वादक अल्लाह रखा के घर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल हाई स्कूल, माहिम मुंबई से ग्रहण की और सेंट जेवियर कालेज, मुंबई से वह ग्रेजुएट हुए। जाकिर हुसैन बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा पाने वाले बच्चे के रूप में उभरे थे। 3 साल की आयु से ही उनके पिता उन्हें पखावज पढ़ाने लगे थे। 11 साल की अल्पायु से ही वह यात्रा करने लगे थे। 1970 में वह अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू करने के उद्देश्य से यूनाइटेड स्टेट गए थे। जाकिर हुसैन का पहला प्लेनेट ड्रम एलबम 1991 में रिलीज किया गया था। जिसके लिए उन्हें 1992 में बेस्ट म्यूजिक एलबम के लिए ग्रैमी अवार्ड भी मिला था। उस समय उनके क्षेत्र में यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले भारतीय थे। बाद में उनकी प्रतिभा को देखते हुए ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट एलबम एंड टूर ने मिक्की हार्ट, जाकिर हुसैन, सिकिरू अडेपोजू और गिओवान्नी हिडैल्गो को अपनी 15 वीं एनिवर्सरी के मौके पर प्लेनेट ड्रम एलबम के लिए खरीद लिया था। ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट एलबम ने उस समय वैश्विक स्तर पर 8 फरवरी, 2009 को 51वंे ग्रैमी अवार्ड्स सेरेमनी में ग्रैमी अवार्ड भी जीता था। मलयालम फिल्म वनाप्रस्थं के लिए उन्होंने एक संगीतकार, कार्यकर्ता और भारतीय संगीत सलाहकार के रूप में भी काम किया था। उन्हें इस्तांबुल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जरूर दिया गया, बाद में 2000 में ही मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और 2000 में ही नेशनल फिल्म अवार्ड्स भी उन्होंने जीते। बहुत सी फिल्मों के लिए उन्होंने गाने भी गाए तथा बहुत सी फिल्मों को उन्होंने संगीत भी दिया है। सिर्फ इतना ही नही, यहां तक कि उनकी तबले की धुन का प्रयोग लिटिल बुद्धा जैसी दूसरी कई फिल्मों में भी किया गया है। उन्होंने काफी फिल्मों में एकल संगीत और विविध बैंड के साथ भी संगीत दिया है। उन्होंने एकल और ग्रुप दोनों ही तरह के प्रदर्शन अपने जीवन में किए हैं और उनके दोनों ही प्रदर्शन ख्याति और आर्थिक रूप से सफल भी साबित हुए हैं। उनके द्वारा किए गए सामूहिक और एकल प्रदर्शन में 1998 का, जाकिर एंड हिज फे्रंड’ और दि स्पीकिंग हैंड जाकिर हुसैन भी शामिल हैं। जाकिर हुसैन बिल लास्वेल के ‘वर्ल्ड म्यूजिक सुपरग्रुप’ के तबला विज्ञान के सदस्य भी हैं।

जाकिर हुसैन का व्यक्तिगत जीवन

जाकिर हुसैन का विवाह अंटोनिया मिन्नेकोला के साथ हुआ, जो एक कत्थक नर्तकी एवं शिक्षिका थी। जाकिर 2005-06 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के म्यूजिक डिपार्टमेंट के प्रोफेसर भी रह चुके हैं।


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