हार पर आत्ममंथन हो

By: Mar 16th, 2017 12:01 am

( डा. शिल्पा जैन सुराणा, वरंगल, तेलंगाना )

हालिया चुनावी नतीजों के बाद मायावती ने अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया। मायावती के बाद अब अखिलेश ने भी उन्हीं के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया। इसके साथ ही कई अन्य बड़े नेताओं ने भी ईवीएम के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी। इसे हम इन नेताओं का मानसिक दिवालियापन ही कहेंगे, जो अपनी हार को पचा नहीं पा रहे। जो लोग यह बात कह रहे हैं कि उनके पास यह साबित करने का कोई भी सबूत नहीं है, तो जाहिर है कि ये जनता को गुमराह करके अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। जब भी मतदान शुरू होता है, उससे पहले हर पार्टी के पोलिंग एजेंट स्वयं उसे परखते हैं और उससे संबंधित सूचना अपने नेता को देते हैं, ताकि किसी भी गड़बड़ी का अंदाजा शुरुआती दौर में ही लग सके। इसी के साथ मतदान खत्म होने पर भी यही प्रक्रिया दोहराई जाती है। जब ईवीएम बूथ पर पहुंचती है, तो किसी को पता भी नहीं होता कि कौन सी सीरीज की मशीन उस मतदान केंद्र पर आई है। साथ ही ये मशीनें किसी भी प्रकार से इंटरनेट से भी नहीं जुड़ी होतीं। अतः यह बहुत मुश्किल है कि इसमें किसी भी प्रकार का हेर-फेर किया जा सके। उत्तर प्रदेश में तीन लाख से भी अधिक ईवीएम का प्रयोग किया गया, ऐसे में यह लगभग नामुमकिन सी बात है। जनता कोई बेवकूफ नहीं है। हार हुई है तो इसका ठीकरा ईवीएम पर या किसी और पर न फोड़ें। जनता ने आपके हिस्से यदि हार लिख दी है, तो इसे शालीनता से स्वीकार किया जाना चाहिए। यह कोई अंतिम चुनाव नहीं है और जनता सब देख रही है। बेहतर होगा कि ये दल या नेता ईमानदारी से अपनी कारगुजारियों का एक बार अवलोकन कर लें, जवाब खुद मिल जाएगा।

 


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