हिमाचल को देखतीं पर्यटन आंखें

By: Mar 24th, 2017 12:05 am

पर्यटन सीजन महज आंकड़ों की दुरुस्ती नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है, जब हिमाचल देश-विदेश से सीधे रू-ब-रू होता है। हम अमूमन इसे व्यावसायिक और व्यापारिक परिपाटी के तहत ही देखते हैं, जबकि हर पर्यटन सीजन हिमाचल की समीक्षा कर जाता है। पर्यटन की मंजिल से कहीं महत्त्वपूर्ण होने चाहिए प्रदेश के प्रवेश स्थल, लेकिन विडंबना यह है कि इन्हें इस लिहाज से देखा ही नहीं गया। यह प्रवेश द्वारों की बनावट-सजावट से हो या सड़कों की स्थिति से तय हो, लेकिन हिमाचल का आमंत्रण आज भी कुछ बिंदुओं पर निराश करता है। पर्यटन उद्योग की अपनी छवि से भी अधिक मूल्यांकन उस पूरी व्यवस्था का है, जो किसी होटल निर्माण या पर्यटक सूचना केंद्र खोलने से कहीं अधिक कठिन है। ट्रैफिक पुलिस का एक अदना सा सिपाही पर्यटन उद्योग के पूरे खाके को स्वर्णिम बना या खाक कर सकता है। सैलानी अपने अनुभव में जो कुछ जोड़ता है, वह स्वाभाविक या असहज हो सकता है। उसके एक दौरे में न जाने कितने नागरिकों के साथ आगमन की खींचतान होगी या एक छोटी सी मुलाकात में कौन सा हिमाचली चरित्र उसे वर्षों जोड़े रखेगा। अगर टै्रफिक व्यवस्था में उसके प्रति सौहार्द प्रदर्शित होगा, तो वह भूल जाएगा कि कितना लंबा जाम उसे परेशानी देता रहा। किसी ढाबे पर मैत्रीपूर्ण व्यवहार, टैक्सी चालक की सद्भावना और सामान्य अनुभूति में पर्यटन सीजन को लूटने की नौबत न हो, तो यही पर्यटक हिमाचल का राजदूत बन जाएगा। पर्यटकों का आगमन बढ़ रहा है, तो इसकी वजह हमारा इंतजाम या आकर्षण नहीं, बल्कि इंटरनेट पर चढ़ी हुई इस प्रदेश की तस्वीर है। मोबाइल फोन का कैमरा किसी सैलानी को अपने साथ यहां ला सकता है और वह सेल्फी के जरिए प्रकृति के अछूत स्पर्श के करीब होगा, लेकिन जहां वास्तविक स्पर्श मिलेगा, उसे हम कोई व्याख्या नहीं दे रहे। मनाली आने वाला पर्यटक हर सीजन के झरोखे से, हिमाचल की गति-प्रगति का अंदाजा लगाता है। अगर वह संतुष्ट नहीं, तो हिमाचल को हर मंच पर कोसेगा। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए पर्यटन एक मानवीय आवश्यकता है और इसी के अनुरूप अब सैलानी अपेक्षाएं ही पूरे उद्योग के गंतव्य मार्ग को तय करती हैं। जाहिर है प्रदेश में घूमने आ रहे पर्यटकों के लिए यह पहला स्थान नहीं और यह भी कि इससे पूर्व वह अन्य राज्यों या अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानदंडों में अपनी ख्वाहिश का मनोरंजन खोज चुका होगा। बेशक हिमाचल के कुछ पर्यटक स्थल बेहतरीन डेस्टीनेशन हो सकते हैं, लेकिन क्या तुलनात्मक दृष्टि से प्रदेश ने अपनी पर्यटन व्यवस्था का विश्लेषण किया। आम व्यवस्था से ही पर्यटन को आगे बढ़ाने के बजाय समस्त राज्यों या अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के हिसाब से जो चुनौतियां उभर रही हैं, उनका समाधान करना होगा। पर्यटक आगमन से हम खुश होते हैं, लेकिन यही पौने दो करोड़ सैलानी हर साल प्रदेश की छवि को संवार या खराब कर सकते हैं। एक अच्छा अनुभव हर साल पौने दो करोड़ लोगों को हिमाचल का राजदूत बना सकता है और इसी शुमारी में हमारी खुमारी भी तोड़ सकता है। प्रदेश का कमोबेश हर विभाग पर्यटक सीजन की राडार पर रहता है, तो इस दृष्टि से विभागीय सोच क्यों नहीं बनती। कांगड़ा पुलिस ने पर्यटक सीजन की आदतों में अपनी प्रासंगिकता बढ़ाते हुए धूम्रपान के खिलाफ जो अलख जगाया है, उसकी प्रशंसा करनी होगी। अगर इसी तरह शुरू हो रहे पर्यटक सीजन को हम स्वच्छता अभियान से जोड़ें, तो हिमाचल की प्राथमिकताएं बदल जाएंगी। स्थानीय निकायों  के साथ पर्यटन को जोड़ेंगे, तो सही मायने में यह परिभाषित होगा और विकास पथ से ही पर्यटक को आते हुए देखने के लक्ष्य स्थापित होंगे। प्रदेश में पर्यटन को चंद स्थलों या पहलुओं से बांधकर देखा जाता रहा है, जबकि इसे हिमाचली छवि के साथ निरूपित करते हुए विस्तार देना होगा। उदाहरण के लिए पनविद्युत परियोजनाओं या अन्य विकास के पहलुओं के साथ पुनर्स्थापित किया जा सकता है। पीडब्ल्यूडी अपनी परियोजनाओं में कुछ मार्गों को पर्यटन अधोसंरचना के रूप में देखे, तो कई सेल्फी स्टैंड सज जाएंगे या नदी के ऊपर बना पुल भी एक डेस्टीनेशन बन सकता है। कमोबेश हिमाचल का हर विभाग आरंभिक तौर पर एक-एक परियोजना भी पर्यटन के मुताबित स्थापित करे, तो लौटते सैलानी के साथ हिमाचल का आईना भी बदलेगा। सिंचाई से पेयजल योजनाओं, वन विभाग की कारगुजारी, बागबानी-कृषि विश्वविद्यालयों से विभागीय गतिविधियों तक हो रहे विकास के धागे पर्यटन से जुड़ सकते हैं। यही सोच हर साल करीब पौने दो करोड़ पर्यटकों के मार्फत हिमाचली बुलंदी को विकास के हर पहलू में महसूस करे, तो हमारी प्राथमिकताएं बेहतर होंगी और राष्ट्रीय स्तर तक इस छवि का बिना प्रचार प्रसार होगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App