हिमाचल में शिप्की नामक स्थान से प्रवेश करती है सतलुज

By: Mar 1st, 2017 12:05 am

समुद्र तल से 3050 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के शिप्की क्षेत्र से प्रवेश करती है। यहां पहुंचने तक यह पश्चिमी तिब्बती हिमालय में 450 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करती है। शिप्की से यह जिस क्षेत्र में प्रवेश करती है, उसे किन्नौर कहा जाता है…

हिमाचल की नदियां

सतलुज नदी – सतलुज अपने उद्गम स्थल से अपने मिलन स्थल से सिंधु तक लगभग नौ सौ मील की यात्रा तय करती है। पष्ठचनद अर्थात पांच नदियों के प्राकृतिक मिलन में ब्यास सतलुज में, जेहलम चिनाब में, चिनाब रावी मंे, रावी सतलुज में और सतलुज सिंधु में मिलती हैं, जो  अरब सागर में विलीन हो जाती हैं। प्रचलित कथा के अनुसार जब एक कामरू नरेश का सेनापति बाणासुर, इन नदियों के संघर्ष को न रोक सका, तो उसने पीले जल (ब्रह्मपुत्र) को पूर्व और लाल जल (सिंधु) को पश्चिम दिशा की ओर जाने और नीले जल (सतलुज) को अपने पीछे-पीछे आने का आदेश दिया। सतलुज का मूल उद्गम स्थल पश्चिमी तिब्बत में समुद्र तल से 15,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पश्चिमी भाग में स्थित इनके जुड़वां सरोवर राक्सास ताल/ रावण हृद को माना जाता है। सतलुज अपने मूल उद्गम स्थल से कैलाश पर्वत की दक्षिणी ढलान पर उत्तर-पश्चिमी दिशा में बहती हुई भारत में समुद्र तल से 3050 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के शिप्की क्षेत्र से प्रवेश करती है। यहां पहुंचने तक यह पश्चिमी तिब्बती हिमालय में 450 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करती है। शिप्की से यह जिस क्षेत्र में प्रवेश करती है, उसे किन्नौर कहा जाता है। यह वही क्षेत्र है, जो कभी शास्त्रों में अर्द्धदेवयोनि के रूप में ख्यात किन्नर-गंधर्वों का निवास क्षेत्र था। किन्नर कैलाश जिसे रल्ङङ भी कहते हैं, बौद्ध-बौद्धेतर दोनों परंपरा के लोगों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थान है। ब्राह्मण परंपरा शिव-शिवा का और बौद्ध परंपरा चक्रसम्वर-वज्रवराही का आस्थान मानती है। इसलिए दोनों ही परंपरा के लोग इसकी परिक्रमा में विश्वास रखते हैं। किन्नौर में सतलुज लङछेन खंबा (हस्तिमुखी) के साथ-साथ ‘जड़-ती’ (सुवर्णनद), ‘मुकसङ’, ‘सङ-पो’, सोमोद्रङ के नाम से भी जानी जाती है। किन्नौर में सबसे बड़ी नदी यही सतलुज है, इसलिए यहां के लोगों के लिए यही ‘सोमोद्रङ यानी समुद्र है।’ शिप्की से लेकर किन्नौर की अंतिम सीमा रेखा ‘चौरा’ तक सतलुज को 130 किलोमीटर बहना पड़ता है। शिप्की और नमग्या के मध्य इसकी दायीं ओर सोमङ् और टशिगङ हैं। नमग्या के नीचे ‘खाबो’ में सतलुज और स्पीति नदी का संगम होता है। स्पीति, लाहुल और स्पीति क्षेत्र की सीमा रेखाभूत कुंजुंम-ला के पाद से कुंजुंम-ला टेक-पो, कब्जिमा तथा दिङ-खड्डों से मिलकर ‘कौरिक’ तक पहले पूर्व दिशा में बहती है।


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