मवां कोहला में 45 झुग्गियां राख

By: Apr 21st, 2017 12:08 am

news newsदौलतपुर चौक —  दौलतपुर चौक-गगरेट मुख्य सड़क के किनारे मवां कोहलां गांव में पंचायत घर के समीप करीब डेढ़ दशक से रह रहे प्रवासी मजदूरों की झुग्गियां जलकर राख हो गईं। अपनी कड़ी मेहनत के चलते बनाए गए इन प्रवासियों के आशियाने उनके सामने ही जलकर राख हो गए। आग की इस घटना में करीब 45 झुग्गियां जलकर राख हो गई। आग की घटना में करीब 10 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है। आग लगने के कारणों का कोई भी पता नहीं चल पाया है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को मवां कोहलां में अचानक ही प्रवासी मजदूरों की झुग्गियों में आग लग गई। पीडि़त सभी मजदूर बिहार राज्य के तहत जिला के दरभंगा के बताए जा रहे हैं। मवां कोहलां में ही रहकर मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। इन प्रवासी मजदूरों की झुग्गियां में जब आग की घटना हुई तक अधिकतर लोग दिहाड़ी करने के लिए बाहर गए हुए थे, हालांकि झुग्गियों में इन प्रवासी मजूदरों के बच्चे थे, लेकिन झुग्गियों में नहीं थे। अन्यथा जानी नुकसान भी हो सकता था। स्थानीय लोगों ने आग की घटना की सूचना अग्निशमन केंद्र को दी। अग्निशमन केंद्र कर्मचारी भी दमकल वाहन सहित मौके पर पहुंच गए। साथ ही आग पर नियंत्रण पाया। करीब डेढ़ दर्जन झुग्गियां जलकर राख हो गई। फायर ब्रिगेड चौकी प्रभारी जोगिंद्र सिंह ने बताया कि प्रवासी मजदूरों द्वारा नजदीक-नजदीक झुग्गियां बनाई गई थी, जिसके चलते ज्यादा नुकसान हुआ है, लेकिन लाखों रुपए की संपत्ति को भी बचाया गया है।

इन अभागों की जलीं झुग्गियां

बिहार के दरभंगा जिला के प्रवासी मजदूर जो कि 10 से 15 वर्षों से मवां कोहलां में ही निजी भूमि पर झुग्गियां बना कर रह रहे थे, जिंदगी की कमाई राख हो गई। पीडि़तों मे श्याम लाल, सुनीता, शंभू, सुनील, राधे मुखिया, अमरजीत, शेदी लाल देवन, महेश, गंगा, विनोद, सुखदेव, सूरज, संजय साहनी, पप्पू मुखिया, पपू साहनी, सूरज, राजा, ऊषा, शाम साहनी, सुखदेव साहनी व बिट्टू साहनी आदि शामिल हैं।

बिलख-बिलख कर रो पड़ी मंजु

पीडि़ता मंजु ने बताया कि वो रोज की भांति दिहाड़ी पर गई थी, लेकिन जब वह वापस आई, तो उसने देखा कि सब कुछ जलकर राख हो गया है। अभी दो दिन पूर्व ही उसने कुछ गहने बनवाए थे।

मेहनत की कमाई मिनटों में मिट्टी

दौलतपुर चौक — गर्मियों शुरू होते ही हर वर्ष प्रवासी मजदूरों की झुग्गियां जलने के समाचार आते हैं, परंतु आग से बचने के लिए धरातल स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए जाते। मवां कोहलां मे उक्त झुग्गियां पंचायत घर के पास निजी भूमि पर बनाई गई थी और एक के बाद एक खड़पोश झोपडि़यां बिलकुल पास-पास बनाई गई थी, यही वजह रही कि गुरुवार दोपहर बाद लगी आग से कुछ समय में ही सब कुछ जल कर राख हो गया। शुक्र रहा भगवान का कि अधिकतर बच्चे प्रवासी मजदूरों के स्कूल में थे, जो कि आग बुझने के बाद लौटे, अन्यथा बर्बादी की दास्तां खतरनाक होती। बताते चलें कि गत वर्ष भी ब्रह्मपुर व मवां कोहलां में झोपडि़यां जली थी। तब भी बर्बादी का आलम ऐसा ही था। गत सप्ताह गगरेट के पास गगरेट-मुबारिकपुर रोड के किनारे एक बच्चा भी आगजनी मे जल गया, परंतु आग से बचने का कोई कारगर कदम देखने को नहीं मिले। मवां कोहलां में यद्यपि स्थानीय लोगों व फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया, परंतु तब तक दर्जनों परिवारों के सैकड़ों लोगों की 45 खड़पोश झुग्गियां तबाह हो चुकी थी और पीडि़त परिवारों के पास नम आंखों के साथ बर्बादी का आलम देखने के सिवा कुछ न था।


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