अंजुम के निशाने पर ओलंपिक

By: Apr 23rd, 2017 12:07 am

अंजुम के निशाने पर ओलंपिककन्या शिशु लिंग अनुपात में गिरावट के चलते देश भर के 100 जिलों में शुमार जिला ऊना की एक और बेटी ने सफलता के झंडे गाड़े हैं। जिला के धुसाड़ा गांव की बेटी अंजुम मोदगिल (23)ने रायफल शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल कर प्रदेश का नाम चमकाया है। रायफल शूटिंग में मौजूदा समय में 100 से अधिक मेडल जीतकर देश की नंबर वन खिलाड़ी का दर्जा प्राप्त कर चुकी अंजुम मोदगिल 2020 में ओलंपिक्स खेलों में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने के साथ 2018 में होने वाली एशियन गेम्स व कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए 50 व 10 मीटर रायफल शूटिंग की तैयारी कर रही है। 2016 में गुवाहटी में संपन्न हुई 12वीं साउथ एशियन गेम्स में अंजुम ने व्यक्तिगत व टीम स्पर्धा में दो गोल्ड मेडल जीते। इससे पहले वह एशियन चैंपियनशिप 2015 कुवैत में टीम स्पर्धा में ब्रांज, सातवीं एशियन एयरगन चैंपियनशिप कुवैत 2014 में व्यक्तिगत व टीम एयर रायफल स्पर्धा में ब्रांज मेडल जीत चुकी है। अंजुम ने ईरान में 2013 में संपन्न हुई एशियन चैंपियनशिप में भी तीन ब्रांज मेडल जीते, जबकि दोहा में 2012 में संपन्न एशियन चैंपियनशिप में भी वह दो सिल्वर मेडल जीत चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंजुम ने 12 गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज मेडल जीते हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर सात गोल्ड, पांच सिल्वर व सात ब्रांज व्यक्तिगत स्पर्धाओं में तथा पांच गोल्ड, छह सिल्वर व आठ ब्रांज मेडल टीम स्पर्धाओं में जीत चुकी है।  चंडीगढ़ प्रशासन ने अंजुम को कमेंडेशन सर्टिफिकेट से अलंकृत किया है। मूलतः जिला ऊना के धुसाड़ा गांव से संबंधित व चंडीगढ़ में पली-बढ़ी अंजुम मोदगिल का जन्म पांच जनवरी, 1994 को माता शुभ मोदगिल व पिता सुदर्शन मोदगिल के घर हुआ। अंजुम के पिता पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में अधिवक्ता हैं, जबकि माता शुभ मोदगिल राष्ट्रीय स्तर की जिम्नास्टिक खिलाड़ी रह चुकी हैं।

मां से मिली शूटिंग में करियर बनाने की सीख

अंजुम मोदगिल ने जमा दो तक की शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल चंडीगढ़ से प्राप्त की, जबकि डीएवी कालेज चंडीगढ़ से बीए व बाद में एमए साइकोलॉजी की डिग्री हासिल की। अंजुम ने अपनी मां की प्रेरणा से रायफल शूटिंग को करियर सपोर्ट के  रूप में लिया। अंजुम ने कहा कि देश के लिए खेलना व पदक जीतना उसका लक्ष्य है। वह 2018 में होने वाली एशियन व कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए तैयारी कर रही है। वहीं उसका फोकस 2020 ओलपिंक्स खेलों पर भी है। शुरू में तो उनके पिता व दादा जी ने वित्तीय सहायता कर प्रैक्टिस के लिए सहयोग किया। अब बंगलूर की एक कंपनी उन्हें प्रैक्टिस जारी रखने में मदद कर रही है।

अंजुम के निशाने पर ओलंपिकमुलाकात

असफलता से सीखती हूं और मेहनत से आगे बढ़ती हूं…

शूटिंग के प्रति आपके लगाव के प्रमुख तीन कारण?

व्यक्तिगत गेम होने के चलते इसे चुना। विश्व भर में शूटिंग मुकाबलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव तथा इसके माध्यम से शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना प्रमुख कारण रहे।

कैसे पता चला कि यही फील्ड आपके के लिए अति श्रेष्ठ होगी?

कंपीटीशन में भागीदारी कर व लगातार अभ्यास करने के बाद महसूस किया कि यह फील्ड मेरे लिए श्रेष्ठ रहेगी।

आपके लिए निशाने की परिभाषा किस तरह सरल हो जाती है?

व्यक्तिगत श्रेष्ठ प्रदर्शन करने व देश के लिए मेडल जीतने से।

प्रतिस्पर्धा में भाग लेते अंतिम समय में क्या याद रहता है या किस तरह एकाग्रता एक बिंदु पर ठहर जाती है?

कुछ विशेष नहीं,लेकिन जितनी भी मेहनत की होती है,उसी पर फोकस करना पड़ता है।

महिलाओं का शूटिंग में चमकना क्या साबित करता है?

इससे साबित होता है कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में वह पुरुषों के बराबर हैं तथा अपना श्रेष्ठ साबित कर सकती हैं।

एक अच्छे शूटर के लिए तैयारी के क्या मायने हैं और इस समय आप किस तरह अपने इरादों को बुलंद कर रही हैं?

एक शूटर के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट होना बहुत जरूरी है। एकाग्रता व ताकत बहुत होनी चाहिए। शारीरिक व तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर सफलता के लिए कार्य कर रही हूं।

पहली बार कब निशाना दागा और तब उम्र क्या रही?

15 साल की उम्र में 2008 में पहली बार एनसीसी में कैडेट के रूप में रायफल थामी व निशाना साधा।

कोई एक शख्स जिसने अंजुम का रास्ता व लक्ष्य बदल दिया?

जीवन में अलग-अलग लोगों से प्रेरणा लेते हुए इस मुकाम पर पहुंची हूं। मेरे माता-पिता, दादा जी व भाई ने पूरा सहयोग दिया, विशेषकर मेरी मां ने मुझे शूटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ एनसीसी आफिसर कर्नल महेंद्र  सिंह चौहान से पूरी सपोर्ट मिली।

रायफल शूटिंग के अलावा किसी अन्य खेल में दिलचस्पी रही?

टेनिस खेल में रुचि है।

शूटिंग में आपके आदर्श और जीवन में?

मेरे माता-पिता।

कभी स्ट्रेस होता है या रायफल के कारण दिल और दिमाग भी दिलेर रहता है?

स्ट्रेस कंपीटिशन खराब जाने पर रहता है, पर कुछ सीखकर, मेहनत करके आगे की तैयारी करती हूं।

अपना मनोरंजन कैसे करती हैं। पसंदीदा एक्टर, गाना और घूमने की जगह?

पेंटिंग कर व टेनिस खेलकर मनोरंजन करती हूं।

अंजुम ने जो सबसे अधिक कठिनाई से हासिल किया?

महंगी गेम होने के चलते हमेशा दिक्कतें आईं। पेरेंट्स की सपोर्ट न मिलती तो शायद रायफल तक न खरीद पाती, जबकि प्रैक्टिस व ट्रेनिंग के अलावा ट्रैवलिंग के  खर्चे भी खुद ही वहन करने पड़ते थे।

और जो सरलता से या बिना रायफल शूटिंग के मिला?

एक अच्छा परिवार।

  • जितेंद्र कंवर, ऊना


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