आर्थिकी सुधारो,पोत रहने दो
नए विमानवाहक के निर्माण पर चीन ने भारत को मारा ताना
बीजिंग— हिंद महासागर में चीन पर लगाम कसने के लिए विमानवाहक के निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने से ज्यादा ध्यान भारत को अपने आर्थिक विकास पर देना चाहिए। भारत को लेकर चीन के आधिकारिक मीडिया ने सोमवार को यह बात कही। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया कि विमान वाहक विकसित करने के लिए नई दिल्ली कुछ ज्यादा ही बेसब्र हो रही है। यह देश औद्योगिकीकरण के अभी शुरुआती चरणों में ही है और ऐसे में विमान वाहक बनाने की राह में कई तकनीकी अवरोध आएंगे। इसमें कहा गया कि बीते कुछ दशकों में, विमान वाहकों के मामले में भारत और चीन की राह अलग रही है, लेकिन दोनों देशों को जो अलग-अलग परिणाम हासिल हुए हैं वह आर्थिक विकास के अंतर्निहित महत्त्व की ओर इशारा करते हैं। लेख में आगे कहा गया कि हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व के जवाब में विमान वाहकों के निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए नई दिल्ली को अपनी आतुरता कुछ कम करनी चाहिए और अपनी अर्थव्यवस्था पर कुछ ज्यादा ध्यान देना चाहिए। बता दें कि चीन ने रविवार को अपनी नौसेना की स्थापना की 68वीं सालगिरह मनाई। वह अपने बेड़े में तेजी से इजाफा कर रहा है। शंघाई से तीन चीनी पोत मैत्री दौरे पर एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 20 से अधिक देशों की ओर भी रवाना हुए हैं। गौरतलब है कि चीन अपनी नौसेना को मजबूत करने में जुटा हुआ है। इसका कारण चीन का दक्षिण चीन सागर में कई देशों के साथ विवाद होना प्रमुख कारण है। इसके अलावा चीन अब विश्व पटल पर महाशक्ति के रुप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है, इसलिए भी वह नौसेना सहित अपने सैन्य बल में लगातार बढ़ोत्तरी कर रहा है।
नौसैना की ताकत बढ़ाने का तर्क
ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख के मुताबिक चीन पूरी दुनिया में अपने हितों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अपनी सेना की ताकत बढ़ा रहा है। अखबार में दावा किया गया है कि यदि चीन हथियारों की रेस में शामिल होता तो आज एशिया पेसिफिक और हिंद महासागर में चीन का वर्चस्व होता।
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