ऊना तक भारत दर्शन

By: Apr 21st, 2017 12:05 am

यह क्षण, हिमाचल में रेलवे की हिस्सेदारी का सबब बनकर आया है, ऊना तक पहुंची चौड़ी पटरियों ने अंततः भारत दर्शन का एक छोर हिमाचल से जोड़कर यह साबित कर दिया कि रेलवे विस्तार की अहमियत क्या है। चंडीगढ़ से आगे निकलकर भारत दर्शन की पताका अगर ऊना रेलवे स्टेशन पर फहरा रही है, तो संपर्क की इन पटरियों पर पूरा हिमाचल खड़ा होता है। भारत दर्शन से जुड़ा ऊना यह भी तसदीक करता है कि हिमाचल में रेल विस्तार इन्हीं पटरियों की बदौलत संभव होगा। पाठकों को याद होगा कि हम कई बार इस विषय पर यही मत जाहिर कर चुके हैं और पुनः दोहराते हुए यह कहेंगे कि प्रदेश की कनेक्टिविटी के हिसाब से रेल, सड़क और वायु मार्गों के विस्तार को देखना होगा। रेल विस्तार ऊना से, विमान सेवाओं का विस्तार कांगड़ा हवाई अड्डे से और सड़क विस्तार का नेटवर्क हमीरपुर के मार्फत होता है, तो हिमाचली कनेक्टिविटी का खाका मुकम्मल होगा। ऊना रेल मार्ग को ज्वालामुखी की तरफ मोड़ते हुए मंदिर पर्यटन की परिभाषा बदल जाएगी। मात्र पचास किलोमीटर रेल विस्तार से ज्वालामुखी जंक्शन न केवल ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी के तीर्थ स्थलों को जोड़ देगा, बल्कि धार्मिक पर्यटकों की शुमारी भी बढ़ाएगा। इसी केंद्र से विस्तार के अगले चरण में रेल मंडी, कांगड़ा व बिलासपुर से जुड़कर प्रस्तावित लेह मार्ग को रेखांकित कर सकती है। केंद्र सरकार ने नए हाई-वे चिन्हित करते हुए हिमाचल की पर्यटन क्षमता को रूपांतरित करने का मार्ग प्रशस्त किया है। फोरलेन मार्गों के साथ एक ऐसा हिमाचल रेखांकित हो रहा है, जो प्रगति की दिशा बदल सकता है। हवाई सेवाओं का सच भी यही है कि प्रदेश का ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत में सबसे अधिक दर से ट्रैफिक ग्रोथ गगल एयरपोर्ट पर हो रही है। पिछले साल की तुलना में पैंतालीस फीसदी यात्री वृद्धि दर से संभावनाओं की नई मंजिलें अगर जुड़ रही हैं, तो हवाई सेवाओं का प्रमुख केंद्र यही बनेगा। गगल एयरपोर्ट का विस्तार पूरे हिमाचल की हवाई सेवाओं का नेटवर्क सुदृढ़ कर सकता है। प्रदेश के प्रमुख हवाई अड्डे की रूपरेखा में गगल एयरपोर्ट अपने साथ कम से कम आधा दर्जन अन्य हवाई पट्टियों को यात्री क्षमता से पुष्ट कर सकता है। शिमला, कुल्लू के अलावा मंडी, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन व लाहुल-स्पीति में अगर हवाई पट्टियां स्थापित होती हैं, तो गगल एयरपोर्ट के साथ जुड़कर पूरे देश में कई शहरों से सीधी हवाई सेवाएं शुरू हो सकती हैं। गगल से प्रस्तावित चंडीगढ़, श्रीनगर व गया जैसी उड़ानों का अर्थ जिस तरह बौद्ध पर्यटन को छू रहा है, उसी परिप्रेक्ष्य में भारत दर्शन पर निकली ट्रेन कल देश के अन्य भागों से यात्री हिमाचल पहुंचा सकती है। कश्मीर घाटी के हालात पर्यटन के काबिल नहीं हैं, अतः उत्तर भारत में देश का सबसे बड़ा डेस्टीनेशन बनने के लिए हिमाचल को अपनी कनेक्टिविटी को समग्रता से देखना होगा। जिस तरह भानुपल्ली-बिलासपुर या पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे लाइनों के इर्द-गिर्द राजनीति खड़ी है, उसे भुला कर ऊना-ज्वालामुखी परियोजना को तरजीह देनी होगी और इसी तरह गगल एयरपोर्ट को भी राज्य के परिपे्रक्ष्य में समझना होगा। भारत दर्शन पर निकली ट्रेन अपने साथ चंद हिमाचली ले जाएगी, लेकिन भारत के लिए हिमाचल दर्शन की ट्रेन ऊना के रास्ते आगे बढ़ानी होगी। अटारी-लद्दाख सड़क मार्ग की शुरुआती रूपरेखा से जुड़ रहा हमीरपुर साबित कर रहा है कि हिमाचल की कितनी सड़कों का संगम यही होगा। हिमाचल में कनेक्टिविटी का खाका चौथे रूप में भी तैयार करना होगा। फल-सब्जी उत्पादक क्षेत्रों, प्रमुख शहरों व पर्यटक स्थानों में एरियल ट्रांसपोर्ट के माध्यम से दिशा तय होगी। इस दिशा में कुछ रज्जु मार्गों की शुरुआत के साथ-साथ स्काई बस की अवधारण भी अगर मूर्त रूप लेती है, तो हिमाचल के दर्शन भी बेहतर ढंग से होंगे। ऊना से आगे हिमाचल किस तरह पूरे देश के यात्रा चित्र में समाहित हो, इस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है।


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