ओलंपिक में सोने पर निशाना लगाना है सपना

By: Apr 17th, 2017 12:03 am

ऊना की बेटी अंजुम मोदगिल ने रायफल शूटिंग में जीते हैं 100 मेडल

newsऊना —  कन्या शिशु लिंग अनुपात में गिरावट के चलते देश भर के 100 जिलों में शुमार जिला ऊना की एक और बेटी ने सफलता के झंडे गाड़े हैं। जिला के धुसाड़ा गांव की बेटी अंजुम मोदगिल (23)ने रायफल शूटिंग में अंतराष्ट्रीय ख्याति हासिल कर प्रदेश का नाम चमकाया है। रायफल शूटिंग में मौजूदा समय में 100 से अधिक मेडल जीतकर देश की नंबर वन खिलाड़ी का दर्जा प्राप्त कर चुकी अंजुम मोदगिल 2020 में ओलंपिक्स खेलों में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने के साथ 2018 में होने वाली एशियन गेम्स व कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए 50 व 10 मीटर रायफल शूटिंग की तैयारी कर रही है। 2016 में गुवाहटी में संपन्न हुई 12वीं साउथ एशियन गेम्स में अंजुम ने व्यक्तिगत व टीम स्पर्धा में दो गोल्ड मेडल जीते। इससे पहले वह एशियन चैंपियनशिप 2015 कुवैत में टीम स्पर्धा में ब्रांज, सातवीं एशियन एयरगन चैंपियनशिप कुवैत 2014 में व्यक्तिगत व टीम एयर राईफल स्पर्धा में ब्रांज मेडल जीत चुकी है। अंजुम ने ईरान में 2013 में संपन्न हुई एशियन चैंपियनशिप में भी तीन ब्रांज मेडल जीते, जबकि दोहा में 2012 में संपन्न एशियन चैपिंयनशिप में भी वह दो सिल्वर मेडल जीत चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंजुम ने 12 गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज मेडल जीते हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर सात गोल्ड, पांच सिल्वर व सात ब्रांज व्यक्तिगत स्पर्धाओं में तथा पांच गोल्ड, छह सिल्वर व आठ ब्रांज मेडल टीम स्पर्धाओं में जीत चुकी है। चंडीगढ़ प्रशासन ने अंजुम को कमेंडेशन सर्टिफिकेट से अलंकृत किया है। मूलतः जिला ऊना के धुसाड़ा गांव से संबंधित व चंडीगढ़ में पली-बड़ी अंजुम मोदगिल का जन्म पांच जनवरी 1994 को माता शुभ मोदगिल व पिता सुदर्शन मोदगिल के घर हुआ। अंजुम के पिता पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में अधिवक्ता हैं, जबकि माता शुभ मोदगिल राष्ट्रीय स्तर की जिम्नास्टिक खिलाड़ी रह चुकी हैं।

मां से मिली शूटिंग में करियर बनाने की सीख

अंजुम मोदगिल ने जमा दो तक की शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल चंडीगढ़ से प्राप्त की, जबकि डीएवी कालेज चंडीगढ़ से बीए व बाद में एमए साइकोलॉजी की डिग्री हासिल की। अंजुम ने अपनी मां की प्रेरणा से रायफल शूटिंग को करियर स्पोर्ट के  रूप में लिया। अंजुम ने कहा कि देश के लिए खेलना व पदक जीतना उसका लक्ष्य है। वह 2018 में होने वाली एशियन व कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए तैयारी कर रही है। वहीं उसका फोकस 2020 ओलपिंक्स खेलों पर भी है। शुरू में तो उनके पिता व दादा जी ने वित्तीय सहायता कर प्रैक्टिस के लिए सहयोग किया। अब बंगलूर की एक कंपनी उन्हें प्रैक्टिस जारी रखने में मदद कर रही है।


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