किसानों के लिए पालिसी जारी, 30 दिन में दें सुझाव

By: Apr 25th, 2017 12:15 am

सरकारी जमीन पर सालों से डटे किसानों के लिए नीति अधिसूचित

newsशिमला – प्रदेश में सरकारी जमीन पर सालों पहले से कब्जा करने वाले छोटे व मझौले किसानों को राहत देने वाली नीति को सरकार ने अधिसूचित कर दिया है। इस पर 30 दिन के भीतर लोग आपत्तियां व सुझाव अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व के समक्ष कर सकते हैं। उसके बाद इन पर अमल करने के साथ यह नीति प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा, जिससे छोटे व मझौले किसानों को उनके कब्जों पर अधिकार मिल सकेगा। हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने नीति को अधिसूचित कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि दो बीघा जमीन के लिए पांच हजार रुपए प्रति बीघा की दर से और दो से पांच बीघा जमीन के लिए प्रति बीघा दस हजार रुपए की दर से पैसा चुकाना होगा। सरकार ने अधिकतम पांच बीघा तक जमीन के कब्जे का सांपत्तिक अधिकार देने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष अपनी पालिसी रखी थी, जिसको हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह ही मंजूरी प्रदान की है। सोमवार को अधिसूचना जारी करते हुए सरकार ने कहा है कि 28 फरवरी, 2015 तक जिनके अवैध कब्जे चिन्हित किए गए हैं, केवल उन्हीं लोगों को इसका अधिकार प्रदान किया जाएगा। उन लोगों को एसडीएम के पास आवेदन करना होगा और वे नीति के तहत संपत्ति का अधिकार प्रदान करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतम पांच बीघा की सीमा तक के कब्जों में इस नीति के तहत अधिकार प्रदान किया जाएगा। कब्जाधारक की जमीन और इन नियमों के प्रदान की गई जमीन दस बीघा से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि इससे अधिक भूमि उसके कब्जे में है, तो उसे वह जमीन छोड़नी होगी। यदि कब्जा एक से अधिक लोगों का है तो कब्जा समस्त ऐसे सहभागियों के पक्ष में बराबर अनुपात में बांटा जाएगा। सड़क, वन, पशु, आश्रय स्थलों, मैदान जहां सामान्यतः धार्मिक और अन्य समारोह आयोजित किए जाते हैं, मुनष्यों या पशुओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले चिन्हित और मान्य रास्ते तथा श्मशान भूमि, समाधि स्थल, कब्रिस्तान, तालाब, टैंक, कूहलें व जल संग्रहण सुविधाएं, चैकडैम और किन्हीं अन्य सामान्य प्रयोजन के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि किसी भी दशा में प्रदान नहीं की जा सकेगी। इन नियमों के अधीन प्रदान की गई भूमि कब्जेदार या उसके हित उत्तराधिकारी या विधिक वारिस द्वारा अंतरित नहीं की जाएगी और कब्जेदार या हित उत्तराधिकारी को पट्टे पर समस्त शर्तों के साथ दी जाएगी। पट्टे की शर्तें भंग होने की दशा में जमीन सरकार में निहित हो जाएगी। उन मामलों, जिनमें वन संरक्षण अधिनियम के अधीन और अनुसूचित जाति व अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 के अधीन अनापत्ति अपेक्षित है, को छूट हेतु मानवीय आधारों पर तथा इन अधिनियमों में यथा परिकल्पित कब्जेदारों निवासियों के अवधारण के लिए भारत सरकार को भेजा जाएगा। एसडीएम या सहायक बंदोबस्त अधिकारी के आदेशों के विरुद्ध अपील 30 दिन तक की जा सकेगी। उपायुक्त या बंदोबस्त अधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील आदेश की तारीख से 60 दिन में की जाएगी।


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