कृषि हेल्पलाइन

By: Apr 11th, 2017 12:05 am

फफूंद व जीवाणु नाश को छिड़कें बोर्डो घोल

पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों-बागबानों के लिए बोर्डो मिश्रण अथवा बोर्डों घोल एक जाना-पहचाना नाम है। फलदार पौधों तथा सब्जियों के लिए यह रामबाण औषधि के नाम से जाना जाता है। इस मिश्रण का आविष्कार फ्रांस के बोर्डो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मिलारडेट ने 1885 ई. में किया था, जिसके आधार पर मिश्रण का नाम पड़ा। बोर्डो मिश्रण में अन्य फफूंदनाशकों और जीवाणुनाशकों की अपेक्षा कुछ विशेषताएं हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है कि इस घोल के छिड़काव के लिए किसी प्रकार के स्टिकर की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि यह थोड़ा सूख जाने पर स्वयं ही पौधों के विभिन्न उपचारित भागों पर चिपक जाता है तथा वर्षा में भी आसानी से नहीं घुलता। इसके अतिरिक्त यह अन्य फफूंदनाशकों की अपेक्षा काफी सस्ता है और कई प्रकार के रोगों को नियंत्रित करने में सहायक है।

बोर्डो मिश्रण एक बहुआयामी फफूंदनाशक  है, जो कि फफूंद के साथ-साथ जीवाणुओं को भी नष्ट करता है। इस नीले थोथे तथा अनबुझे चूने के घोल को निश्चित अनुपात में  मिलाकर तैयार किया जाता है। इस मिश्रण के सक्रिय तत्त्व तांबे की उपस्थिति विभिन्न कवक वर्गों के विरुद्ध एक प्रभावशाली रसायन है। आधुनिक जैविक कृषि में भी बोर्डो मिश्रण का प्रयोग अनुमोदित है। मिश्रण के प्रकार : बोर्डो मिश्रण आवश्यकतानुसार तीन रूपों में प्रयोग किया जाता है।

1. बोर्डो घोल 2. बोर्डो लेप 3. बोर्डो पेंट

बोर्डो घोल : 100 लीटर बोर्डो घोल (08 प्रतिशत या 4:4:50 सांद्रता) तैयार करने के लिए 800 ग्राम अनबुझा चूना 100 लीटर पानी में मिलाना चाहिए।

नीले थोथे (800 ग्राम) को बोरी की पोटली में बांधकर रात भर पानी में डुबोकर रखें उसे अगले दिन 50 लीटर पानी में घोल लें।

किसी दूसरी बाल्टी या कनस्तर में 800 ग्राम अनबुझा चूना 50 लीटर पानी में घोल लें। चूने की मात्रा को पहले कम पानी में भिगो लें। तत्पश्चात इसमें पानी मिलाकर कुल मात्रा 50 लीटर कर लेनी चाहिए।

सौजन्यः डा. राकेश गुप्ता, छात्र कल्याण अधिकारी, डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,सोलन


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