डुंगकर में है बिना दरवाजों की एक जेल की काल कोठरी

By: Apr 12th, 2017 12:05 am

डुंगकर गांव की पहाड़ी के शिखर पर किले के नाम से ज्ञात एक बड़ा ढांचा है, जो बिलकुल प्राचीन है। इसमें एक गुफा जैसी काल कोठरी है, जिसे नोनो कैद के रूप में प्रयोग करते थे। इस जेल में दरवाजों के बिना एक काल कोठरी है…

इमर्सन गृह

भिन्न रूप से दिखने वाला इमर्सन हाउस भवन स्लेट की छतों से युक्त शीशे लगे मोड़दार लकड़ी के बरामदे और ऊंचे कमरे मंडी नगर को एक स्पष्ट आभा प्रदान करते हैं, जो अन्यथा नगर  भर में कंकरीट के जंगलों के कारण खोती जा रही है। मंदिरों के नगर के दिल में बने हुए 97 वर्ष पुराने इमर्सन हाउस भवन को जीवन का नया पट्टा प्रदान किया गया है, क्योंकि इसे शिमला गेयटी थियेटर की तर्ज पर स्लेट की छतों की पहाड़ी शैली को पुनर्जीवित किया गया है। इस उद्देश्य के लिए लोक निर्माण विभाग ने 2012 ई. में इसके लिए 34 लाख रुपए दिए थे। यह भवन कुछ सरकारी विभागों और एक रेस्टोरेंट के अधीन था। कला, संस्कृति और भाषा विभाग ने एक कमेटी का गठन किया और इसको सुरक्षित रखने के कार्य की संस्तुति की।

डुंगकर

स्पीति की भूतपूर्व राजधानी  स्पीति नदी के बाएं किनारे पर समुद्रतल से 13700 फट की ऊंचाई पर स्थित एक बड़ा गांव है,जो काजा से नदी की निचली ओर 15 किमी. की दूरी पर है। गांव की पहाड़ी के शिखर पर किले के नाम से ज्ञात एक बड़ा ढांचा है, जो बिलकुल प्राचीन है। इसमें एक गुफा जैसी काल कोठरी है, जिसे नोनो कैद के रूप में प्रयोग करते थे। इस जेल में दरवाजों के बिना एक काल कोठरी है  जिसके शिखर में ही एक सुराख है, जिसके द्वारा दोषी व्यक्ति को नीचे उतारा जाता था और वह भोजन प्राप्त करता था। यह स्थान पहाड़ी के शिखर पर एक बड़े बौद्ध मठ के लिए प्रसिद्ध है।

धर्मकोट

धर्मकोट मकलोडगंज से 2 किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर धौलाधार की गोद में स्थित एक छोटा सा गांव है। इस गांव को इजरायल से बहुत संख्या में पर्यटकों की उपस्थिति के कारण छोटा इजराइल भी कहा जाता है। इजराइल के पर्यटक इस गांव के इतने शौकीन थे कि कुछ ने तो अपना विवाह संस्कार यहां संपन्न करवाया। इजरायल के पर्यटक इस गांव में लगभग सारा वर्ष मौजूद रहते हैं। धर्मकोट गृह पर्यटन उद्योग का एक उदाहरण है, जिसे हमारी सरकार प्रोन्नत करना चाहती है। इजरायली पर्यटकों की स्थिर मांग के कारण गांव के बाशिंदों ने अपने घरों को अतिथि गृह में बदल दिया है।

देहरा गोपीपुर

यह ब्यास नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। देहरा को भिन्न-भिन्न मछली पकड़ने के केंद्रों जैसे पौंग बांध,पत्तन कुरुं और नादौन के आधार रूप में प्रयोग करना संभव है। चिंतपूर्णी मंदिर यहां से ज्यादा दूर नहीं है।


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