पहाड़ों की रानी शिमला पर दस गुना बढ़ा बोझ

By: Apr 26th, 2017 12:10 am

20 हजार आबादी के लिए बसे शहर की जनसंख्या अब दो लाख पार, नगर निगम के 25 से बढ़कर 34 हुए वार्ड

newsशिमला — 20 हजार की आबादी के लिए अंग्रेजों द्वारा बसाया गया शिमला अब दो लाख जनसंख्या का आंकड़ा पार कर रहा है। सबसे पुराने नगर निगमों में शुमार शिमला के 25 वार्ड अब 34 में बदल रहे हैं। वाहन संख्या जो कभी गिनती की होती थी, वह अब 90 हजार तक पहुंच चुकी है, मगर सड़क व्यवस्था आज भी वही पुराने ढर्रे की है। अंग्रेजों द्वारा बनाया गया सर्कुलर रोड इस पूरे वाहन बोझ को ढो रहा है। हर साल पर्यटन सीजन के दौरान हर दिन करीबन आठ से दस हजार अतिरिक्त वाहन यहां पहुंचते हैं, जिनके लिए पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था यहां नहीं है। किसी भी वार्ड में पार्किंग की समुचित व्यवस्था न होने से लोग सड़कों पर गाडि़यां पार्क करने को मजबूर हैं। शायद ही ऐसा कोई दिन होगा, जब सर्कुलर रोड या फिर टुटू से बालूगंज तक ट्रैफिक जाम न होता हो। शहर की लाइफ लाइन कार्ट रोड को आज तक चौड़ा नहीं किया गया। हालांकि इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है, मगर काम शुरू नहीं हो सका है। अरसे तक इसे चौड़ा करने का मामला नगर निगम शिमला और पीडब्ल्यूडी के बीच मात्र इसी बहस को लेकर झूलता रहा कि यह सड़क किसके अधिकार क्षेत्र की है। शहर में पंजीकृत 90 हजार वाहनों के अलावा हजारों वाहन हर रोज यहां पहुंच रहे हैं। हर तरफ जहां भी देखो वाहनों की कतारें नजर आती हैं। ऐसे में शहर में ट्रैफिक चलता नहीं बल्कि रेंगता नजर आता है। जगह-जगह लगने वाले ट्रैफिक जाम में नौकरी पेशा लोगों के अलावा स्कूल व कालेज जाने वाले छात्र अपना वक्त जाया करते हैं। शहर में आने वाले वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। कुल मिलाकर देखें तो शहर में करीब 2500 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है, ऐसे में बाकी वाहन सड़कों पर खड़े रहते हैं, जो कि ट्रैफिक जाम की बड़ी वजह बनते हैं।

नियमों को ताक में रख हुआ निर्माण

शिमला शहर की सुंदरता बनाए रखने के लिए सरकार ने शहर में 17 ग्रीन बैल्ट घोषित किए हैं। इन  क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर रोक है और यहां पुराने भवनों में भी मकान मालिक बदलाव नहीं कर सकते हैं, लेकिन यहां हरित पट्टी में  नियमों का उल्लंघन कर जमकर निर्माण हुआ है। मौजूदा समय में शिमला प्लानिंग एरिया में ग्रीन बैल्ट एरिया 414 हेक्टयेर का है। इसका 76 फीसदी क्षेत्र सरकारी और 24 फीसदी क्षेत्र निजी लोगों के हाथों में है, लेकिन शिमला के हरित क्षेत्र में बड़े रसूखदारों ने कई मंजिला आलीशान बंगले खड़े कर दिए हैं। शिमला के जाखू, शांकली-रुल्दूभट्टा, फागली, कुसुम्पटी,फागली में हरित क्षेत्र घोषित किया गया है, लेकिन इन जगहों पर निर्माण कार्य किए गए हैं। सरकारों ने यहां पर कुछ लोगों को निर्माण कार्यों की खुद अनुमति दी है। हालात ये हैं कि शिमला में निजी भूमि पर लोगों ने पेड़ों को सुखा  दिया है और इनको काटकर बाद में निर्माण कार्य किया है। इससे शहर की हरियाली कम हो रही है।

पहाड़ों का शहर, बदल रहा मैदान में

शिमला में  बढ़ती आबादी के चलते  यहां का पर्यावरण खतरे में हैं। पहाडों का शहर अब मैदान में बदलता जा रहा है और यहां का तापमान 32 डिग्री के आसपास पहुंच रहा है। शिमला शहर में पहाडि़यों को काटकर इन्हें समतल बनाया जा रहा है और देवदार, बान व बुरांस के फूल व पौधों की जगह अब कंकरीट का जंगल दिखाई दे रहा है। नियमों को ताक पर रखकर निर्माण ने यहां जीना दूभर कर दिया है।  यहां न चलने के लिए रास्ते बचे हैं और न ही साफ सुथरी हवा के लिए जगह बची है। शहर में  रातों-रात अवैध भवन खड़े हो रहे हैं और जिन लोगों पर इस निर्माण को रोकने का दायित्त्व है वे कुंभकर्णी नींद में हैं। हालात ये हैं कि नगर निगम के इलाके में ही अकेले 27 हजार से ज्यादा मकान बनकर तैयार हो गए हैं, वहीं शहर  के आसपास पैसों  के लालच में धड़ाधड़ जमीनें बेची जा रही हैं और इन पर बड़ी कालोनियां व फ्लैट बन रहे हैं। इससे शिमला शहर की सुंदरता ही गायब हो गई है।

जरूरत लायक भी नहीं मिलता पानी

शहर में बढ़़ रही इस आबादी के लिए पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा। शहर पानी के लिए त्राहिमाम कर रहा है और पानी की बड़ी-बड़ी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही बन रही हैं। ये योजनाएं कब साकार होंगी कहा नहीं जा सकता। हालात ये हैं कि शहर में  मौजूदा आबादी के लिए 45 एमएलडी पानी की जरूरत है, जबकि बमुश्किल से शहर में 35 एमएलडी पानी मिल रहा है। ऐसे में शहर में कई दिनों बाद लोगों को पानी मिल रहा है, वहीं शहर में जो पेयजल दिया भी जा रहा है उसकी शुद्धता की भी कोई गारंटी नहीं है। बीते साल इसी जल से पनपे पीलिया ने हजारों लोगों को लेटाया और दो दर्जन को हमेशा के लिए सुला दिया।

कोई भी योजना नहीं चढ़ी सिरे

शिमला के सूखे हलक तर करने के लिए विभिन्न सरकारों ने कभी सतलुज तो कभी पब्बर से यहां के लिए ऐसी योजनाएं तैयार करने के ऐलान किए, जिससे शिमला की लगातार बढ़ती आबादी को दो वक्त नियमित पानी मिल सके,मगर ये योजनाएं सिरे नहीं चढ़ पाइ। अब कोल डैम से पानी उठाने की योजना है। यह विश्व बैंक से फंडिड होगी, कब सिरे चढ़ेगी, इस बारे में अभी भी कुछ नहीं कहा जा सकता।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App