पिता के कान पर दूब रखने को समझा जाता है बधाई

By: Apr 12th, 2017 12:05 am

बालक या बालिका के दक्षिण कान में दीर्घायु  ऐसा पांच बार पिता द्वारा बोला जाता है। फिर प्रथम बार भूमि पूजन कर बालक को भूमि स्पर्श तथा घर से बाहर लाकर प्रथम सूर्य नमस्कार करवाया जाता है। पुत्र के जन्म पर पिता को सब कान पर दूब रखने को देते हैं, जो बधाई समझी जाती है…

रीति-रिवाज व संस्कार

मेधाजनन संस्कार ः इस परंपरा के पूर्ण जानकार लोगों के घरों में पुत्र जन्म पर नाल छेदन से पूर्व अनार या सुवर्णादि की कलम से जिह्वा पर ॐ कार शब्द लिखने का प्रचलन है। जिसे मेधाजनन कर्म कहते हैं।

छट पूजन या भेई पूजन ः जन्म के छठे दिन बालक की दीर्घायु के लिए उपद्रव शांति के लिए छट पूजन का विधान है। गाय के गोबर से भगवती बंटी विधमाता देवी की मूर्ति बनाकर उसे दूर्बा (दूब) चुन्नी आदि वस्त्रों से सजाकर पूजने का विधान है। बंटी से ही अपभ्रंश होकर छट शब्द बना है। यहां की बोली में बंटी को भेई कहते हैं।

हवन ः जन्म के 11वें दिन नामकरण हवन करने का विधान है। जिसे यहां की भाषा में हूम भी कहते हैं। जन्म से दस रात्रि तक जननाशौचें (जन्मसूत्क) सभी कार्य देव पूजन (सष्टी महोत्सव को छोड़कर) वर्जित माने जाते हैं। हूम के बाद ही सभी शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं। इस दिन पुरोहित आकर पंचष्ठात्य प्राशन आदि के बाद गणपति नवगृह पूजन शुद्धि के लिए पंचष्ठात्य हवन करवाकर ज्योतिषी द्वारा बताए गए अक्षर से श्वेत वस्त्र पर नाम लिखकर बालक या बालिका के दक्षिण कान में दीर्घायु  ऐसा पांच बार पिता द्वारा बोला जाता है। फिर प्रथम बार भूमि पूजन कर बालक को भूमि स्पर्श तथा घर से बाहर लाकर प्रथम सूर्य नमस्कार करवाया जाता है। पुत्र के जन्म पर पिता को सब कान पर दूब रखने को देते हैं, जो बधाई समझी जाती है।

अन्न प्राशन अनाज देना ः शिशु के छठे, आठवें या दसवें तथा कन्या को पांचवें, सातवें, नवें माह में अन्य प्राशन करने का विधान है, जिसे ‘अनाज’ देना कहते हैं। इस दिन गणपत्यादि पूजन के बाद बालक या बालिका को मछली वाला जल यानी जिस जल में मछलियां रहती हों, पीने को दिया जाता है तथा शौंक या जौ और गेहूं के सत्तू शहद के साथ चटाए जाते हैं। इसके बाद खुले स्थान में शस्त्र, लेखनी, तराजू, कृषि औजार आदि रखकर बालक को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है। बालक जिस वस्तु को सर्वप्रथम स्पर्श करे उससे ही उसकी जीविका अर्जित की मान्यता है। जैसे शस्त्र स्पर्श से सेना में जाना, तराजू स्पर्श से व्यापार, लेखनी स्पर्श से अधिकारी या लेखक, कृषि औजार स्पर्श से कृषक बनना माना जाता है।

मुंडनः (पटबाल) जन्म से तीसरे या पांचवें वर्ष में बालक का मुंडन करने का विधान है। कई बार प्रथम वर्ष में या नवरात्रों में भी इस संस्कार को संपन्न किया जाता है। मुंडन मुहूर्त से पूर्व रात्रि को बालक की 10 जडूली(बालों को बांधना)की जाती हैं। सिर के दायीं ओर के बाल तीन भागों में मौली से बांधे जाते हैं।

 


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