भगोड़ा शिकंजे में

By: Apr 26th, 2017 12:01 am

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

नीलकंठ के पर कटे, तल में धंसे विमान,

जकड़ गया है व्यूह में, तड़प रही है जान।

अजय, पराजय खा गया, पड़ गया पक्षाघात,

कसा शिकंजा इस कद्र, फक्कड़ ने दी मात।

बैंक लूटकर ऐश में थे, शहंशाह से ठाठ,

छूट गई सब अप्सरा, खड़ी हो गई खाट।

अब दहाड़ना है कहां, ए मिट्टी के शेर,

बंदी लंदन में बना, अक्कड़ हो गई ढेर।

इज्जत मिट्टी में मिली, बिखर गए सब जाम,

भाग-भाग कर थक गया, है कुकर्म बदनाम।

नजरबंद है नजर में, बेड़ी में है बंद,

नमो-नमो का जाल है, मुस्काते हैं मंद।

बेशक अंदर डाल दें, हो परियों का संग,

नीलकंठ अंदर उड़े, जमे जेल में रंग।

काग सयाना था बड़ा, हत्थे चढ़ गया आज,

कौआ यह क्या खा गया, क्या है इसका राज।

 


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