भारत का गहना
Apr 18th, 2017 12:01 am
( डा सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )
दिव्य प्रकृति शृंगार करती, प्रति पल इसे सजाती,
हिम आच्छादित पर्वतमाला, चांदी सी बिखराती।
कलकल करते झरने बहते, नदियां बल खातीं,
यौवन रूप छिपाती हैं, बालाएं शर्मातीं।
सदा अग्रसर युवक-युवतियां, आगे बढ़ते जाते,
क्या किसान क्या बागबान, गीत प्रगति के गाते।
आग नहीं बरसाता अंबर, शीतल है सुखदायी,
मंद सुगंध समीर वह रही, नित वसंत लाई।
घर-घर से निकलते सैनिक, वीर, सिपाही, प्रहरी,
मातृभूमि की रक्षा करते, देशभक्ति अति गहरी।
शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सड़कों का क्या कहना !
हिम का आंचल सदा अग्रणी, भारत का है गहना।
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