सच चुभने क्यों लगा ?

By: Apr 21st, 2017 12:05 am

(डा. शिल्पा जैन सुराणा, वरंगल, तेलंगाना)

पिछले दिनों दो बड़ी खबरें आईं। पहली, स्नैपचैट के सीईओ ने कहा वह अपनी सेवाओं का विस्तार भारत जैसे ‘गरीब’ देश में नहीं करना चाहते। दूसरा वाकया लोकप्रिय गायक सोनू निगम के बयान को लेकर हुआ, जहां उन्होंने कहा कि मैं मुस्लिम नहीं हूं, फिर भी मुझे सुबह अजान की आवाज से जागना पड़ता है। पूरा देश चिल्ला उठा, अरे भाई यह क्या बोल दिया? मौलवियों ने फतवा और लाखों का इनाम जारी कर दिया। ये दोनों खबरें सिर्फ एक ही ओर इशारा करती हैं कि हम कितने अधीर हो गए हैं। हमने सुनना छोड़ दिया है, क्योंकि उतना धैर्य हममें बचा ही नहीं है। स्नैपचैट के सीईओ के बयान के बाद किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि इसमें कितनी सच्चाई है। यह बयान भारत और स्पेन दोनों के बारे में था, पर स्पेन के लोगों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनके लिए यह कोई इतनी महत्त्वपूर्ण बात ही नहीं थी। सोनू निगम ने लाउडस्पीकर्स से होने वाली परेशानी पर ध्यान आकर्षित किया। लाउडस्पीकर्स न केवल ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, बल्कि लोगों की परेशानी का भी कारण हैं। उन विद्यार्थियों से पूछिए जिनकी परीक्षा है और ये लाउडस्पीकर्स उन्हें चैन से पढ़ने नहीं देते। रोगियों और छोटे बच्चों को भी इससे दिक्कत होती है। अचानक हम इतने अधीर कैसे हो गए हैं? क्यों हमें सच्ची बातें चुभती हैं? स्नैपचैट के विरोध मात्र से आप देशभक्त नहीं बनेंगे। अच्छा होगा कि देश के लिए कुछ उत्पादक करो। वैसे भी देश में बहुत सी समस्याएं हैं और पहले उनके समाधान की जरूरत है। साथ ही जरूरत है, थोड़े धैर्य और थोड़े संयम की।

 


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