सबसे पहले कुल्लू की ऊझी घाटी में आकर बसे विदेशी

By: Apr 12th, 2017 12:05 am

विलियम हैनरी डोनाल्ड ने डोभी में बागीचा लगाया और बंगला बनाया। उसने पहली बार 1927 ई. में कुल्लू में कार लाई, जिसके कलपुर्जे मंडी में खोलकर मजदूरों द्वारा कुल्लू पहुंचाया गया था। सन् 1928 में पहली बार छोटी गाडि़यां कुल्लू और मनाली के बीच चलना प्रारंभ हुई…

हिमाचल की नदियां

ब्यास नदी – ब्यास के सहायक नदी-नालों में पार्वती सबसे बड़ी नदी है। अनेक बार इसका पानी ब्यास से कहीं अधिक होता है। इसके किनारों पर जरी, करोल, मणिकर्ण, रुद्रनाग, खीरगंगा आदि धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं। ‘मानतलाई’ इसका स्रोत है। यह आसपास के लगभग 6300 मीटर ऊंचे हिमखंडित शिखरों से घिरा हुआ है। ‘डिबी-रा-नाला’ और ‘तोश नाला’ इसके सहायक नाले हैं। बजौरा से कुछ ही दूर नीचे ब्यास नदी के बाएं किनारे पर ‘गड़सा नाला’ मिलता है। गड़सा घाटी आज तक कुल्लू की सबसे पिछड़ी वादियों में से मानी जाती थी। पार्वती परियोजना ने इस घाटी और यहां के लोगों का भाग्य चमका दिया है। औट से चार किलोमीटर आगे ब्यास नदी के साथ कुल्लू जिला के सैंज और ‘तीर्थन’ दो खड्डें मिलती हैं और यहीं से ब्यास मंडी जिला में प्रवेश करती है। ब्यास नदी का ऊपरी भाग ‘ऊझी’ कहलाता है। यह आदि काल में बड़ा खुशहाल और संपन्न क्षेत्र रहा है। नदी के दोनों ओर विशाल-समतल खेत हैं, जो पुराने समय से लेकर धान उगाने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। यहां का जाटू-धान बहुत लोकप्रिय खाद्य रहा है। इन्हीं उपजाऊ खेतों की बदौलत यहां बडे़-बड़े गांवों में घनी आबादी रही है। ऊझी ही पहला क्षेत्र है, जहां कुल्लू में आए विदेशी आबाद हुए हैं। कर्नल रैनक ने सन् 1880 के आसपास नग्गर में ‘दि हाल एस्टेट’ की स्थापना की, जो अब ‘रौरिक संग्रहालय’ नाम से प्रसिद्ध है। सरयाल क्षेत्र (डोभी, पिछलीहार, मंडलगढ़, रायसन, शिरढ, मंदोराल, मंझलीहार, वियासर, शिलीहार, जिंदौड़, सारी, बसतोरी आदि गांव) ब्यास नदी के दाएं छोर सेआरंभ होकर आरंभ में ढलानदार और फिर सीधा चढ़ाई से होता हुआ ऊंची पर्वत चोटियों तक फैला हुआ है। दुर्गम क्षेत्रों और ऊंचे शिखरों के कारण यहां के अनेक पर्वत शिखर मानव पहुंच से बाहर हैं। सैकड़ों किलोमीटर लंबी पर्वतमाला पर देवी ‘फुंगणी’ का नियंत्रण है। ब्यास नदी के किनारे की किंचित समतल भूमि बड़ी उपजाऊ है और सड़क के किनारे होने के कारण विदेशी निवासियों ने बहुत पसंद की है। कैप्टन आरसीली ने 1870 ई. में पहली बार बंदरोल में सेब का बगीचा लगाया था। विलियम हैनरी डोनाल्ड ने डोभी में बगीचा लगाया और बंगला बनाया। उसने पहली बार 1927 ई. में कुल्लू में कार लाई, जिसके कलपुर्जे मंडी में खोलकर मजदूरों द्वारा कुल्लू पहुंचाया गया था। सन् 1928 में पहली बार छोटी गाडि़यां कुल्लू और मनाली के बीच चलना प्रारंभ हुई।


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