समसामयिकी

By: Apr 12th, 2017 12:07 am

रेल विकास प्राधिकरण

cereerकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे में बड़े सुधार की शुरुआत करते हुए रेल विकास प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी। इससे पहले सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया था।  उम्मीद है कि एक अगस्त से रेल विकास प्राधिकरण काम करना शुरू कर देगा। यह प्राधिकरण रेलगाडि़यों के किराए तय करेगा। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि रेलवे में निवेश करने वाले हिस्सेदारों को बराबरी का मौका मिले, दक्षता बढ़े और प्रदर्शन मानक में सुधार हो। रेलवे सूत्रों के अनुसार यह प्राधिकरण महत्त्वपूर्ण नीति और परिचालन मसलों पर उचित फैसले लेने में सरकार की मदद करेगा। इन मसलों में लागत के अनुरूप सेवा, गैर किराया राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय सुझाना, उपभोक्ता हितों का संरक्षण, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अलावा बाजार विकास को प्रोत्साहित करने, निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने, संसाधन आबंटन के सक्षम प्रोत्साहन को बढ़ावा देने, सेवाओं के मानक तय करने, नई तकनीक अपनाने और मानव संसाधन के विकास से जुड़े मसलों पर भी यह प्राधिकरण सुझाव देगा। मालभाड़ा गलियारे के बुनियादी ढांचे तक बिना भेदभाव सबकी पहुंच के लिए व्यवस्था बनाने का भी जिम्मा भी इसी का होगा। रेलवे नियामक बनाने का विचार वर्ष 2001 में उस समय आया था, जब राकेश मोहन की अध्यक्षता वाले एक विशेषज्ञ समूह ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। वर्ष 2014 में राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति और 2015 में विवेक देबरॉय समिति ने भी कुछ ऐसी ही सिफारिश की थी। वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते समय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने घोषणा की थी कि उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे का व्यवस्थित विकास जरूरी है। प्रस्तावित प्राधिकरण आरडीए एक स्वतंत्र नियामक होगा, जिसमें अध्यक्ष के अलावा तीनों क्षेत्रों से संबंधित तीन विशेषज्ञ सदस्य होंगे। इसका कार्यकाल 5 साल का होगा। शुरू में इसका कोष 50 करोड़ रुपए का होगा। इसके सदस्यों की नियुक्ति 15 जुलाई तक होने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार प्राधिकरण बनने से रेलवे को किराया और भाड़ा तय करने में आसानी होगी। कैबिनेट ने इस अथारिटी के गठन के लिए जो प्रस्ताव पारित किया है, उसके मुताबिक इस अथारिटी के गठन के लिए रेलवे एक्ट में कोई संशोधन नहीं होगा बल्कि सरकार एक एग्जीक्यूटिव आर्डर के जरिये इस अथारिटी को बनाएगी। अथारिटी के गठन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे रेल यात्रियों को प्रोटेक्शन मिलेगा और अथारिटी यात्रियों को मिलने वाली सर्विस का मापदंड तय करेगी। इस तरह से सर्विस की क्वॉलिटी में सुधार हो सकता है। मसलन, ट्रेनों की लेटलतीफी को लेकर अथारिटी कड़ा रुख अपना सकती है और यात्रियों को मुआवजा भी दे सकती है। अथारिटी के गठन से एक फायदा यह होगा कि रेलवे में प्राइवेट प्लेयर्स भी आ सकेंगे। लगभग उसी तरह से हालात हो सकते हैं, जैसे टेलीकॉम में हुए हैं। पहले सरकारी कंपनी एमटीएनएल थी, लेकिन बाद में प्राइवेट कंपनियां भी इस सेक्टर में आईं। अब रेलवे में भी प्राइवेट प्लेयर आ सकेंगे।  इसका मुख्यालय नई दिल्ली में होगा।  रेल विकास प्राधिकरण रेलवे कानून, 1989 के प्रावधानों के अंतर्गत कार्य करेगा। प्राधिकरण से जुड़ा एक अहम तथ्य यह होगा कि यह परामर्शदात्री संस्था ही रहेगी।


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