सरकार पर शराब का खुमार

By: Apr 4th, 2017 12:02 am

( शगुन हंस, योल )

अब तो अति हो गई और जाहिर हो गया कि सरकार शराब के ठेकों को बचाने के लिए कैसे-कैसे हथकंडे अपना रही है। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ठेकों पर गिरी गाज का तोड़ निकालने के लिए स्टेट हाई-वेज को ही डी-नोटिफाई करने का फैसला कर लिया है। इसका मतलब यह हुआ कि  सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की उल्लंघना के लिए अपने ही प्रदेश के नियमों को बदल दिया जाए। बेचारी सरकार, कितनी बेबस है इन शराब के ठेकों को बचाने के लिए। माना कि राजस्व का यह मुख्य माध्यम है, पर इसका दूसरा पक्ष कितना भयावह है यह सोचा है कभी सरकार ने। राजस्व बढ़ाने के और भी तरीके हैं। साधन हैं, माध्यम हैं। प्रदेश के पास पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, शक्तिपीठों का खजाना है, उनसे राजस्व में बढ़ोतरी की जा सकती है। पर नहीं, सरकार को जो शराब के रास्ते से आने वाला राजस्व ही चाहिए, ताकि युवा पीढ़ी नशे में डूबे, घर उजड़ें और शराब के कारण हादसों को शह मिले। हिमाचल के उलट उत्तर प्रदेश में शराब के खिलाफ योगी सरकार सहित लोगों ने हल्ला बोल दिया है। नेशनल हाई-वे से उठे ठेके दूसरी जगह जहां पर बने, लोगों ने तोड़ दिए और देवभूमि हिमाचल में शराब के ठेकों को बचाने के लिए स्टेट हाई-वे का दर्जा ही डी-नोटिफाई करने की तैयारी हो गई। शराब के रास्ते आने वाला राजस्व कितनी बर्बादी लेकर आता है, क्या इस बात से सरकार वाकिफ नहीं है। इस राजस्व का फायदा भी क्या है, जब सरकार ने फिजूलखर्ची ही इतनी बढ़ा रखी है। उस पर केंद्र से मिला पैसा भी खर्च नहीं हो पा रहा और लैप्स हो रहा है। सरकार पर शराब का खुमार प्रदेश को कहीं का नहीं छोड़ेगा।

 


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