सादगी के लिए जानी जाती हैं जया

By: Apr 9th, 2017 12:07 am

जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उन्हें जो चाहिए, वह हासिल कर के छोड़ती थीं। वह भोपाल के ‘सेंट जोसेफ कॉन्वेंट’ में पढ़ती थीं। खेलकूद में भी वह शिरकत करती थीं और 1966 में उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों एनसीसी की बेस्ट कैडेट होने कातमगा मिला था। उन्होंने छह साल तक भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी लिया ….

Utsavजया बच्चन का जन्म का नाम ‘जया भादुड़ी’ है। पत्रकार तरुण कुमार भादुड़ी की तीन पुत्रियों में सबसे बड़ी हैं। तरुण कुमार का वास्तविक नाम सुधांशु भूषण था। 1936 में उनके पिता देवीभूषण दिल्ली से स्थानांतरित होकर नागपुर पहुंचे थे। सुधांशु ने त्रिपुरी कांग्रेस में स्वयंसेवक की भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1944 में पटना की इंदिरा गोस्वामी से विवाह किया। जया का जन्म 9 अप्रैल, 1950 को हुआ। जया की दो छोटी बहनों के नाम नीता और रीता हैं। जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उन्हें जो चाहिए, वह हासिल कर छोड़ती थीं। वह भोपाल के ‘सेंट जोसेफ कॉन्वेंट’ में पढ़ती थीं। खेलकूद में भी वह शिरकत करती थीं और 1966 में उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों एनसीसी की बेस्ट कैडेट होने का तमगा मिला था। उन्होंने छः साल तक भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी लिया था। वह दिलीप कुमार की प्रशंसक हैं।

शिक्षा : हायर सेकेंडरी पास करने के बाद जया ने पुणे के ‘फिल्म इंस्टीच्यू’ में प्रवेश लिया था, लेकिन इससे पहले ही वह सत्यजीत राय की फिल्म ‘महानगर’ में काम कर चुकी थीं। फिल्म निर्माता-निर्देशक तपन सिन्हा, तरुण कुमार के अच्छे दोस्तों में थे। उनकी फिल्म ‘क्षुधित पाषाण’ की जब भोपाल में शूटिंग हुई थी, तब सारी व्यवस्था तरुण कुमार ने की थी। सिन्हा, तरुण कुमार को भाग्यवान लकी आदमी मानते थे और अपनी शूटिंग के समय अकसर उन्हें अपने पास बुलाया करते थे। इसलिए ‘निर्जन सैकत’ की आउटडोर शूटिंग के समय उन्होंने अपने मित्र को पुरी बुलाया था। यह 1962 का साल था। पिताजी के साथ जया भी पुरी गई थीं। वह होटल ‘बे-व्यू’ में ठहरे थे, जहां शर्मिला टैगोर और रवि घोष से भी उनकी मुलाकात हुई थी।

15 साल की उम्र में जया भादुड़ी को सबसे पहले बंगला के महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म ‘महानगर’ में लिया था। इसके पहले वह भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन फिल्म इंस्टीच्यूट की डिप्लोमा फिल्म ‘सुमन’ में कैमरे का सामना कर चुकी थीं। ‘सुमन’ फिल्म के डायरेक्टर उनके सहपाठी मदन बावरिया थे। जया बंबइया निर्माता-निर्देशकों को भा गईं। ऋषिकेश मुखर्जी ने ‘सुमन’ फिल्म में जया को देखा, तो अपनी फिल्म ‘गुड्डी’ में स्कूल गर्ल के रूप में चुन लिया। जया इंस्टीच्यूट में पढ़ रही थीं कि बासु चटर्जी अपनी फिल्म में काम करने के लिए उनसे बात करने आए थे। चटर्जी से जया ने कहा था कि कोर्स पूरा करने से पहले कोई भी छात्र फिल्म में काम नहीं कर सकता, ऐसा नियम है। जगत मुरारी जब फिल्म इंस्टीच्यूट के प्रधानाचार्य थे, तब ऋषिकेश मुखर्जी ने उनसे कहा था कि ‘गुड्डी’ फिल्म के लिए एक अच्छी लड़की चाहिए। जगत मुरारी ने कहा था, जया है नाम जया भादुड़ी। ऋषिदा को अचानक उनका स्मरण हो आया और उन्होंने कहा। जया आदर्श गुड्डी बनेगी। वह जैसे ही पास हो जाए, मैं ‘गुड्डी’ का काम शुरू कर दूंगा। 16 अगस्त, 1970 को जया ने मुंबई की गाड़ी पकड़ी और 18 अगस्त को मोहन स्टूडियो में ‘गुड्डी’ की शूटिंग शुरू हो गई। ‘गुड्डी’ फिल्म में स्कूल गर्ल फिल्म स्टार धर्मेंद्र की दीवानी है। गुड्डी के सेट पर ही अमिताभ बच्चन, जलाल आगा और अनवर अली से जया की मुलाकात हुई थी। ‘गुड्डी ‘ फिल्म सफल रही और जया को फौरन राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘उपहार’ में नायिका का रोल मिल गया। दर्शकों को जया भा गईं। उनके लिए वह नई आदर्श कन्या बन गईं। अपनी सादगी भरी पोषाक और सीधे-सरल रोल के कारण दर्शक जया को पसंद करने लगे। जया ने भी तय कर लिया था कि वह हिंदी फिल्म की हीरोइन की इमेज को बदल देंगी। अब तक फिल्मों में हीरोइन को हीरो के आसपास नाचते-गाते, रोमांस करते ही दिखाया जाता रहा था।  हीरोइन भी बुद्धिमान हो सकती है। वह अपने फैसले खुद कर सकती है। जरूरत पड़ने पर माता-पिता या ससुराल वालों से तर्क-वितर्क कर सकती है, ऐसा कभी दिखाया नहीं गया था। वह महज शो-पीस या फिर घर की चारदीवारी में ‘मैं चुप रहूंगी’ अंदाज में आंसू बहाने वाली अबला जैसी दिखाई जाती थी। जया ने अत्यंत कुशलता के साथ अपनी इमेज बनाई और ‘पिया का घर’ अनामिका, परिचय, कोरा कागज, अभिमान, मिली, कोशिश, जैसी कई उम्दा फिल्में कीं।


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