सिनेमा के 100 साल

By: Apr 23rd, 2017 12:07 am

मासूमियत ने इंदिरा को मौसमी बना दिया

utsavचौदह साल की उम्र में इंदिरा बालिका वधू बन गई, लेकिन उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा। तरुण मजूमदार ने कहा था कि इंदिरा से ज्यादा उन पर मौसमी नाम सूट करेगा और इस तरह मौसमी चटर्जी फिल्मी दुनिया में आ गई , जब पांचवीं कक्षा में पढ़ती थीं इंदिरा चटर्जी।

मासूम मौसमी

कंधे पर बस्ता टांगे हुए, लंबी-लंबी दो चोटियां, खिलखिलाती सहेलियों के साथ स्कूल जाते हुए। मासूमियत भरी मस्ती और हंसने पर बढ़ा हुआ दांत दिखना उन्हें और भी मासूम बना देता था। मशहूर बंगाली फिल्म निर्देशक तरुण मजूमदार रोज इंदिरा को देखते। उनकी निगाह में इंदिरा की मासूमियत इस कद्र बस गई कि उन्होंने सोच लिया कि इंदिरा ही उनकी फिल्म में बालिका वधू बनेंगी। वह अपनी नई फिल्म शुरू करने की तैयारी में थे। नायिका के रोल के लिए उन्हें स्कूली लड़की की तलाश थी, जो देखने में मासूम लगे और चंचल भी। तरुण मजूमदार को लगा कि यह छात्रा उस रोल के लिए सही रहेगी। उन्होंने जब इंदिरा से पूछा कि मेरी फिल्म में काम करोगी, तब बड़ी मासूमियत से उन्होंने कह दिया, हां करूंगी, कब से काम शुरू करना है। क्या आज से ही करना होगा, लेकिन मैं स्कूल से छुट्टी नहीं ले सकती। मुझे बाबा पिताजी से पूछना पड़ेगा। सेना में नौकरी करने वाले सख्त स्वभाव वाले इंदिरा के पिता प्रांतो चट्टोपाध्याय ने साफ  मना कर दिया,  सवाल ही नहीं उठता। मेरी बेटी पढ़ेगी और खूब पढ़ेगी। तब तरुण मजूमदार ने बाबा को मनाने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी संध्या राय को सौंपी, जो उस समय बंगाल की लोकप्रिय कलाकार थीं। संध्या ने जैसे-तैसे बाबा को मना लिया और इस तरह चौदह साल की उम्र में इंदिरा बालिका वधू बन गई। लेकिन उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा। तरुण मजूमदार ने कहा था कि इंदिरा से ज्यादा उन पर मौसमी नाम सूट करेगा। इस तरह मौसमी चटर्जी फिल्मी दुनिया में आ गईं।

मौसमी का विवाह

मौसमी जितनी कम उम्र में परदे पर आई, उतनी ही कम उम्र में उनका विवाह भी हो गया। संयोग से प्रसिद्ध गायक हेमंत कुमार ने अपने बेटे रीतेश के लिए मौसमी का हाथ मांग लिया। कोलकाता से मुंबई आने पर हेमंत कुमार ने मौसमी से कहा, तुममें अच्छे कलाकार के सभी गुण मौजूद हैं। तुम्हारा चेहरा भी सिल्वर स्क्रीन के लिए एकदम सही है। तुम प्रतिभावान हो, फिल्मों में अभिनय जारी रखो। 1972 में उन्होंने ‘अनुराग’ में काम करने के लिए शक्ति सामंत को हामी भर दी। इसमें उनके अपोजिट विनोद मेहरा थे, लेकिन फिल्म में उस जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना की भी खास भूमिका थी। अनुराग में मौसमी ने अंधी लड़की की भूमिका इतने ढंग से निभाई कि उस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार उन्हें दिया गया।

मौसमी का फिल्मी सफर

मौसमी ने कई प्रमुख फिल्मों में उस दौर के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया। 1982 में गुलजार की फिल्म ‘अंगूर’ ने बहुत बड़ी सफलता हासिल की थी। यूं तो फिल्म की सफलता का पूरा श्रेय संजीव कुमार और देवेन वर्मा को मिला था, लेकिन मौसमी चटर्जी ‘अंगूर’  में काम करके बेहद खुश हुई थीं।


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