हिंदी कहानी के महारथी

By: Apr 17th, 2017 12:05 am

आशा कुमारी

हिंदी कहानी के आरंभ से ही हिंदी जगत में हिमाचली हिंदी कहानी की अपनी एक विशिष्ट परंपरा रही है। चंद्रधर शर्मा गुलेरी की ‘उसने कहा था’ से लेकर वर्तमान समय में हिमाचल के विभिन्न कहानीकारों द्वारा लिखी जा रही कहानियां एक विशेष उद्देश्य को परिलक्षित या निर्दिष्ट करती हैं। हिंदी कहानी के आरंभ से ही हिमाचल के लेखक साहित्यिक विधाओं के माध्यम से अपना विशेष योगदान देते रहे हैं। भले ही उन्हें हिंदी साहित्य के इतिहास में जगह न दी गई हो। हिमाचली हिंदी कहानी में न केवल हिमाचली जनंजीवन का परिदृश्य वर्णित होता है, बल्कि पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित जीवन शैली भी दृष्टिगोचर होती है। हिमाचली कहानीकारों ने आमजन की अनुभूतियों, जीवन के कठोर अनुभवों एवं घटनाओं को अभिव्यक्त किया है। वैश्वीकरण के इस भयावह दौर में हिमाचली हिंदी कहानी समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं विसंगतियों को उजागर करने में सक्षम है। हिमाचली कहानीकारों की एक बहुत लंबी फेहरिस्त है। प्रत्येक कहानीकार का अपना एक विचित्र एवं व्यापक रचना संसार है, जिसमें कहानीकार ने अपने विवेक और वैचारिकता के बल पर कहानी का सृजन किया है। हिमाचल की हिंदी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर सुशील कुमार फुल्ल, एसआर हरनोट, बद्री सिंह भाटिया, सुदर्शन वशिष्ठ, गौतम शर्मा ‘व्यथित’ आदि की चुनिंदा कहानियों के माध्यम से इस आलेख में हिमाचल की हिंदी कहानी को देखने व जांचने का प्रयास किया है।

आशा भंडारी केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश से पीएचडी उपाधि के लिए ‘हिमाचल की हिंदी कहानी’ विषय पर शोध कार्य कर रही हैं।  अतिथि संपादक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App