हिमाचली पुरुषार्थ : पिचों के पारखी सुनील चौहान

By: Apr 12th, 2017 12:07 am

उन्होंने जीवन के संघर्ष के दौरान एक खेल और रेडीमेड कपड़ों की दुकान भी चलाई, लेकिन उन्होंने व्यापार को आगे बढ़ाने की बजाय मैदान की तरफ भागने में अधिक दिलचस्पी दिखाई। अपनी दूसरी पारी शुरू करते हुए चौहान ने अपने गृह नगर में बिलासपुर क्रिकेट एसोसिएशन में सचिव का काम संभाला…

cereerहिमाचल प्रदेश बिलासपुर के रहने वाले पिच क्यूरेटर सुनील चौहान ने पहाड़ में विश्व की सबसे सर्वोत्तम विकेट तैयार कर दी है। दुनिया के सबसे खूबसूरत स्टेडियमों में शुमार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला धौलाधार में अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अब विश्व भर में बेहतरीन विकेट के लिए भी पहचाना जाता है। युवा अवस्था में क्रिकेट का जुनून रखने वाले सुनील चौहान का जुनून जब 22 गज पिच की तरफ मुड़ा, तो सभी के जहन में कई सवाल थे, लेकिन अपने लगातार परिश्रम और कड़े अभ्यास से धर्मशाला में टी-20, वनडे और अब क्रिकेट के आदर्श प्रारूप टेस्ट मैच की विश्व की बेहतरीन पिच तैयार कर दी। धर्मशाला की विकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के लिए एचपीसीए के चीफ पिच क्यूरेटर सुनील चौहान का बड़ा हाथ है। चौहान ने इस विकेट को विश्व मानचित्र में स्थापित कर दिया। कालेज के दिनों से पिच के प्रति लगाव होना शुरू हो गया। उन दिनों मैट पर क्रिकेट खेलने का भी चलन चल रहा था, लेकिन उनका ध्यान चटाई के नीचे की सतह को असमान बाउंस नहीं होने वाली तैयार करना रहता था। हिमाचल की ऊबड़-खाबड़ पिचों में खेलते हुए खुद दांतों में कई बार चोट खाई है। चौहान के परिवार में दो डाक्टर हैं और एक शिक्षक हैं। उनके बड़े और छोटे भाई दोनों डाक्टर हैं जबकि उनकी मां एक शिक्षक थीं। उनके परिवार वाले उनके क्रिकेट प्रेम को पंसद नहीं करते थे। उन्होंने जीवन के संघर्ष के दौरान एक खेल और रेडीमेड कपड़ों की दुकान भी चलाई, लेकिन उन्होंने व्यापार को आगे बढ़ाने की बजाय मैदान की तरफ भागने में अधिक दिलचस्पी दिखाई। अपनी दूसरी पारी शुरू करते हुए चौहान ने अपने गृहनगर में बिलासपुर क्रिकेट एसोसिएशन में सचिव का काम संभाला। उन्होंने जिला को अपने पहले क्रिकेट मैदान की मदद करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने एक सपना संजोया था कि बिलासपुर में हमारे पास एक अच्छी जमीन है, तो एक बेहतरीन पिच होनी चाहिए। उन्होंने अपने हाथों से कड़ी मेहनत करके अपनी पहली पिच तैयार की। इसके बाद चौहान इंटरनेशनल स्टेडियम धर्मशाला सहित, बिलासपुर लुहणू और हमीरपुर व नादौन में भी अच्छी विकेट तैयार कर चुके हैं। चौहान ने बिलासपुर क्रिकेट एसोसिएशन में एचपीसीए के एडमिन मैनेजर की नौकरी की। वर्ष 2007 में एचपीसीए प्रमुख अनुराग ठाकुर ने बीसीसीआई द्वारा आयोजित एक पिच क्यूरेटर सेमिनार में भाग लेने के लिए कहा। उन्होंने क्रिकेट में वैज्ञानिक तरीके से विकेट को तैयार करने की प्रक्रिया को सीखा।  सुनील की सीखने की प्रक्रिया लगातार जारी रही और तीन साल बाद चौहान को एचपीसीए स्टेडियम के मुख्य क्यूरेटर के रूप में नियुक्त किया गया। तब से उन्हें अंतरराष्ट्रीय कप्तानों और कोचों से काफी प्रशंसा मिली है। भारत में इंडिया और आस्ट्रेलिया के बीच खेली गई बार्डर-गावस्कर टेस्ट ट्रॉफी के निर्णायक और अंतिम मुकाबले में चौथे ही दन रिजल्ट दिखाने वाली धर्मशाला की विकेट को विश्व स्तर पर पहचान मिल गई है। क्रिकेट के खिलाडि़यों सहित विशेषज्ञों ने धर्मशाला की विकेट को विश्व की सबसे बेहतरीन विकेट करार दिया है। धर्मशाला की विकेट में चार दिनों में टेस्ट का खूब रोमांचक मैच देखने को मिला। धर्मशाला स्टेडियम की पिच में बल्लेबाजों को शॉट, तेज गेंदबाजों को स्विंग-उछाल और फिरकी गेंदबाजों के लिए कमाल की टर्न देखने को मिली। धर्मशाला में टेस्ट मैच खेलने वाले हर खिलाड़ी को अपनी प्रतिभा दिखाकर मैच बदलने का मौका मिला। धर्मशाला की विकेट में चौथे दिन तक 32 विकेट और कुल 875 रन बरसे। विश्व भर में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की विकेट को प्रसिद्धि दिलाने का कार्य हिमाचल के ही हीरे सुनील चौहान ने कर दिखाया है। वह एचपीसीए के चीफ पिच क्यूरेटर व बीसीसीआई के ग्राउंड एवं पिच कमेटी के सदस्य भी हैं।

-नरेन कुमार, धर्मशाला

जब रू-ब-रू हुए…

खेल संघ अपने हितों को साधने की बजाय प्रतिभा तराशें…

किसी क्रिकेट मैच को निर्णय तक पहुंचाने में पिच क्यूरेटर की भूमिका?

मैदान और सही विकेट के बिना मैच का कोई आधार नहीं है। सही विकेट से ही सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले के हक में मैच का निर्णय आता है।

मैच से पूर्व आप दबाव महसूस करते हैं, या सब कुछ सहज होता है।

बेशक अंतरराष्ट्रीय मैच के आयोजन को लेकर विकेट की चिंता रहती है, लेकिन अब अपनी लगातार मेहनत और विश्वास से मैच का आयोजन सहज सा लगने लगा है।

अब तक किस मैच में लगा कि पिच ने आपको सफल करार दिया?

अब तक हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्टेडियम में खेले गए हर इंटरनेशनल मैच के साथ-साथ घरेलू सीरीज के होने वाले मैचों के सफल खेल ने भी मुझे उत्साहित किया है।

हिमाचल की पिचों में खेलने से भारतीय क्रिकेट टीम को कहां और कितनी मदद मिल सकती है?

हिमाचल की पिच पर अब तक भारतीय टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। भारत की बल्लेबाजी टीम की रीढ़ मानी जाती है, तो अब गेंदबाजों ने भी अपने हुनर से सबको आश्चर्यचकित किया है। ऐसे में हिमाचल की पिच भारत के बल्लेबाजों और गेंदबाजों को करिश्मा दिखाने के लिए काफी है।

आपकी निगाह में श्रेष्ठ पिच की कौन सी खूबियां गिनी जा सकती हैं?

एक अच्छी पिच वही है, जो गेंद और बल्ले के बीच अच्छा मुकाबला प्रदान करे। एक अच्छी पिच में अच्छी गति, नियमित उछाल होना चाहिए। पिच स्ट्रोक खेलने में मददगार और बल्लेबाजों के लिए खतरनाक नहीं होनी चाहिए।

और ये पिचें देश में कहां हैं?

एक अभी आपकी नजरों के सामने है धर्मशाला का मैदान। इसके अलावा भारत में कई महत्त्वपूर्ण मैदान और पिचें हैं, जिनमें नागपुर स्टेडियम, हैदराबाद स्टेडियम, जयपुर, ईडन गार्डन कोलकाता, मोहाली स्टेडियम चंडीगढ़ और वानखेड़े स्टेडियम मुंबई सहित अन्य भी अच्छी पिचें हैं।

कोई बदलाव जो आप पिच प्रबंधन व देखभाल में देखते हैं?

पिच प्रबंधन को भारत सहित हिमाचल प्रदेश में वैज्ञानिक तरीके से किए जाने पर जोर देना होगा।

अमूमन आपकी पिचों को किन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों ने पसंद किया?

धर्मशाला मैदान में खेलने वाले हर खिलाड़ी ने पिच की सराहना की है। सभी राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ने सराहा है।

क्रिकेट आपके जीवन को किस कद्र प्रवाहित व समाहित करती है?

क्रिकेट मेरे जीवन का अभिन्न अंग है। क्रिकेट के बिना मैं अधूरा सा महसूस करता हूं। या यूं कहें कि क्रिकेट ही मेरी सांसें हैं और पिचें अब मेरी जान हैं।

हिमाचल में क्रिकेट खिलाड़ी क्यों नहीं आपकी पिचों पर सफल हो रहे हैं?

अब प्रदेश के खिलाड़ी टीम इंडिया में स्थान बना चुके हैं और आधा दर्जन के करीब खिलाड़ी आईपीएल में भी अपना जौहर दिखा रहे हैं।

क्रिकेट के मैदान पर पिच के अलावा जीत के लिए अन्य क्या है?

निश्चित रूप से ही आपका बेहतरीन प्रदर्शन। पिच बल्लेबाजों और गेंदबाजों को अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने का मंच प्रदान करती है। अब जीत के लिए सबसे अच्छे तरीके से खेलने वाली टीम की जीत होती है।

आज तक का सबसे बड़ा सुकून और कोई ऐसी टिप्पणी, जिसने आपके कर्म को शोहरत दी?

मेरी नजर में मुझे असली सुकून और शोेहरत तब मिलती है, जब घरेलू स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मेरे द्वारा बनाई गई पिच पर खेल कर अच्छा महसूस करते हैं, तो मुझे सच में ही सुकून मिलता है।

हिमाचल को खेल राज्य बनाने के लिए क्या करना होगा?

क्रिकेट के साथ-साथ अब अन्य खेलों में भी मेहनत कर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

बाकी खेल एसोसिएशन क्रिकेट संघ से जो सीख सकती हैं?

प्रदेश के खेल संघों को अपने हितों की बजाय पहाड़ी राज्य की प्रतिभाओं को तराशने और सही मंच प्रदान करने के लिए कड़ा संघर्ष करना चाहिए, जिसे क्रिकेट संघ लगातार जारी रखे हुए है।


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