अनपढ़ा ते पढ़ेयो खरे, पढ़ेयां ते हन कढ़यों खरे

By: May 15th, 2017 12:05 am

मेला किसी राष्ट्र और समाज के जनजीवन, मूल्यों, सभ्यता और संस्कृति का परिचायक होता है। इसी तरह का एक किसान मेला पद्धर डा. आशीष शर्मा के नेतृत्व में अत्यंत हर्ष उल्लास और प्रतिष्ठा पूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, जिसमें स्वच्छता, साहित्य, संस्कृति, संगीत गायन और परिश्रम पर विशेष ध्यान रहा। साहित्य के प्रति अपने अनुराग और समाज के प्रति साहित्य के अवदान के मद्देनजर अध्यक्ष एवं उपमंडलाधिकारी (ना.) किसान मेला पद्धर द्वारा बहुभाषी कवि सम्मेलन के लिए अधिकारी वर्ग और स्थनीय लोगों से विविध प्रकार से सहयोग प्राप्त हुआ।  पंचायत समिति द्रंग के भव्य सभागार में 20 अप्रैल, 2017 को बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के ख्यातिलब्ध कवि और लेखकों ने भाग लेकर अपनी कविताओं के माध्यम से हर ओर प्यार की प्रतिष्ठा और स्वाभिमानी राष्ट्र के निर्माण हेतु संदेश दिए तथा तरह-तरह के विषयों पर कविताएं सुनाइर्ं। मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष समाजसेवी श्री केहर सिंह ठाकुर और रवि ठाकुर बैंस खंड विकास अधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण के उपरांत बहुभाषी कवि सम्मेलन का शुभ आरंभ हुआ। सर्वप्रथम सम्मेलन के संयोजक कृष्ण चंद्र महादेविया ने उपस्थित कवि लेखकों, डाक्टर, वकील और श्रोताओं का स्वागत किया और उनका परिचय प्रस्तुत किया। देश के ख्याति लब्ध कवि और अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि सुरेश सेन निशांत ने स्नेह और प्यार बांटती कविता से श्रोताओं की वाहवाही लूटी तो वहीं रामपुर शिमला से आए युवा कवि मनोज चौहान ने कटघरे में पिता और मेरी बेटी कविताएं सुनाकर उपस्थित महिला मंडलों और श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।

दूसरी बेटी के पैदा होने पर

उमड़ आया है सैलाब

औपचारिकता

ढाढस और सांत्वनाओं

का समाज की रुग्ण सोच

और अजीबोगरीब मनोविज्ञान

हो रहा है प्रतिबिंबित।

प्रकाश चंद धीमान द्वारा क्षणिकाएं और मेहनतकशों के प्रति रम्य रचनाएं सुनाई। वहीं अर्पणा धीमान ने भी महिलाओं की उत्कृष्टता पर बेहद अच्छी रचना कही। डा. कमल के प्यासा और हरि प्रिया शर्मा ने भी समां बांधा तो आरके गुप्ता और उमेश गौतम ने भ्रष्टाचार पर चोट करती अपनी रचनाओं से सभागार को बागबान कर दिया और खूब तालियां बटोरीं। विनोद भावुक की पंक्तियों से समां बांधते महादेव के नए मुहावरे वाली कविता सुनाई।

अनपढ़ा ते पढ़ेयो खरे

पढ़ेयां ते हन कढ़यों खरे

थी जलेब बजंतरी फाकें

देवते सोने मढ़ेयोें खरे

प्रेमा खातर सर कटाणे

हक्कां खातर लड़ेयोें खरे।

युवा कवयित्री प्रियंवदा ने राष्ट्र के स्वाभिमान पर आंच न आने देने की बात अपनी कविताओं में कही। उनके कविता कहने की अदा खूब सराही गई। कला संस्कृति संगीत सभा पद्धर के अध्यक्ष डा. जगदीश कपूर की पहाड़ी और हिंदी कविताओं ने श्रोताओं की आंखों में आंसू ला दिए। अकादमी पुरस्कार प्राप्त कहानीकार मुरारी शर्मा ने चावल का दाना सुनाकर मेहनतकशों के परिश्रम पर चार चांद लगाए। प्रसिद्ध हास्य कवि रतन लाल शर्मा सुकेतडि़या ने हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। पूरे सभागार की तालियां बटोरी। कवि अंजान ने कुछ यूं कहा-

तुम मुस्काराई जब

आधी सड़क पर लेटी

उदास रेत भी खिलखिला उठी

करीब से जब गुजरी थी तुम

सुगंध के झोंके से हकलाती-मुरझाती

धूल हट गई थी

कृष्णा ठाकुर जो मंच संचालन भी कर रही थी ने अपने लिखे कुल्लवी और मंडयाली गीत सुनाए। लक्ष्मण ने यू कहां-

साम्हणे तुस्सां औणा नी

आसे जाइएं ता गलौणा नी

एडवोकेट इंद्र त्यागी, लाभ सिंह, संजीव सोनी, हेमराज ठाकुर, राज कुमार सपाटू, गीता यादव, प्रेम सिंह, केहर सिंह, संतराम यादव, महिला मंडल भडवाहन, उरला की सदस्यों सहित अनेक श्रोताओं ने कविताओं का लुत्फ उठाया। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे रवि कुमार बैंस ने  सभी कवियों की कविताओं पर सार्थक टिप्पणी की तथा ऐसे कार्यक्रमों की सार्थक सोच की प्रशंसा की।  उन्होंने  कहा कि समाज के नवनिर्माण के लिए साहित्यक और कवि सम्मेलन अनिवार्य है। कविताएं और साहित्य ही सड़े गले रीति रिवाज, पाखंड, झूठ, भ्रष्टाचार आदि का पर्दाफाश कर स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है।  उन्होंने युवा कवि मनोज चौहान और प्रसिद्ध कवि सुरेश सेन निशांत को पुस्तकें और टोपी भंेट कर सम्मानित किया। डा. कपूर और महादेविया ने उपन्यासकार गंगा राम राजी, कलाकार रूपेश्वरी शर्मा, कवयित्री हरि प्रिया की  पुस्तकें क्रय कर लेखकों और श्रोताओं में आबंटित की। अंत में महिला मंडल भडवाहन की महिलाओं ने बेटी बचाओ के संदर्भ में समूह गान किया।

-कृष्ण चंद्र महादेविया, विकास कार्यालय पद्धर, मंडी

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