कविता

By: May 7th, 2017 12:05 am

गर्मी के दिन धमा चौकड़ी

मस्ती हल्ला तुम हम

आया फिर इस साल लौट कर

तरबूजों का मौसम

दिन भर खेल-खेल कर थकते

रात गए सुस्ताते

लंबे- लंबे दिन होते और

छोटी-छोटी रातें

पढ़ने से फिर लंबी फुरसत

खरबूजों का मौसम

आया फिर इस साल लौट कर

तरबूजों का मौसम

छांटों काटो मिल कर बांटो

ठंडे-ठंडे खीरे।

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