कविता

By: May 8th, 2017 12:05 am

सियाचिन

प्यारे कंत जी

सियाचिन पहुंचते ही

अब की बार खत जरूर लिखना

लिखना पहली छुट्टी कब आओगो

जब मैं किसी जंगली फूल सी

खिल उठूंगी, महकूंगी

लिखना साथी लोक क्या कहते हैं

हमारे इन गुलाबी दिनों पर

कितना याद आता है वहां

पहुंचने पर घर

भूल जाते हो दुनियादारी

वहां पहुंचकर सभी सिपाही

जोगी बन जाते हैं

दुनिया से विरक्त या…

ये भी जरूर लिखना कि

देश भक्ति किस-किस के

हिस्से की फसल है

जो तुम्हारे दम पर रातों को

जश्न का लिबास पहनाते हैं

करोड़ों कमाते, उड़ाते हैं

उनके बेटे सियाचिन क्यों नहीं जाते

लिखना कि सरहदों के वजूद

कभी मिट सकते हैं या नहीं

आदमी, सिर्फ आदमी बनकर

भी जी सकता है या नहीं

हाथों में हथियारों का अंधेरा

दिलों में नफरतों का अंधेरा,

माहौल में पसरा सियासत का अंधेरा

कितने उजालों को निवाला

बनाता रहेगा

और लिखना कि दुनिया के

किसी भी कोने में बहता

इनसान का लहू

आखिर कब आखिरी लकीर

बनकर थम जाएगा और

सारे सियाचिन हथियारों से नहीं

गुलाबों से भर जाएंगे।

-हंसराज भारती, सरकाघाट, मंडी


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App