कार्रवाई का इंतजार करता देश

By: May 4th, 2017 12:08 am

newsपीके खुराना

लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं

सारा देश इस मामले में सेना के साथ है और लोग मोदी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं कि वह कोई ठोस कार्रवाई करें तथा स्थिति को और बिगड़ने से बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। यह समय गंभीरता से सोचने का है। संयमित आचरण और राजनीतिक सूझ-बूझ वाली कार्रवाई की आवश्यकता है। यह तो स्पष्ट है कि अधिक सेना की तैनाती और बल प्रयोग से समस्या नहीं निपटेगी और यह फटाफट होने वाला काम नहीं है और न ही इसके परिणाम तुरंत आ जाएंगे…

सन् 2013 में पाकिस्तानी सेना ने हमारे लांस नायक हेमराज का सिर काटने की दुखद और कायराना हरकत को अंजाम दिया था। तब लोकसभा में विपक्ष की तत्कालीन नेता सुषमा स्वराज ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा था कि यदि भाजपा सत्ता में होती, तो वह एक सिर के बदले दस सिर ले आती। उन्होंने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को ऐसा ही कर दिखाने को कहा था। भाजपा की एक अन्य नेत्री स्मृति ईरानी ने तब प्रधानमंत्री को चूडि़यां भेजने की बात कही थी। यह संयोग है कि अब भाजपा सत्ता में है और ये दोनों महिलाएं केंद्र सरकार में मंत्री हैं और सुषमा स्वराज तो विदेश मंत्री हैं। कपिल सिब्बल ने अब सुषमा और स्मृति ईरानी को उनके बयान याद दिलाते हुए अपनी ही कही हुई बात पूरी करने की चुनौती दी है। एक संवेदनशील मुद्दे पर तब भाजपा ने राजनीति की थी, अब कांग्रेस कर रही है।

सत्ता संभालते समय नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निमंत्रण भेजा। उसके बाद भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पदचिन्हों पर चलते हुए वह नवाज शरीफ के जन्मदिवस पर उन्हें बधाई देने पाकिस्तान भी गए। परंतु इसके बावजूद दोनों देशों के रिश्तों में कोई स्थायी सुधार नहीं आया और पाकिस्तान की शरारतें जारी रहीं। पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों को रोकने का कोई भी सार्थक प्रयास न करने की स्थिति में भारत ने इस दिशा में विश्व जनमत को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। कुछ देर के लिए ऐसा लगा कि हम अपने इस प्रयास में सफल हुए हैं, परंतु यह विश्वास भी ज्यादा समय नहीं टिक पाया और अंततः एक ऐसा समय आया जब भारत को विवश होकर सर्जिकल स्ट्राइक जैसा कदम उठाना पड़ा। सितंबर, 2016 के आखिरी दिनों में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक बार फिर ऐसा लगा कि पाकिस्तान को सबक मिल गया है, लेकिन वह तसल्ली भी अस्थायी साबित हुई और पाकिस्तानी सेना द्वारा सीजफायर का उल्लंघन एक पखवाड़े के भीतर ही शुरू हो गया।

यह स्पष्ट है कि इस महीने की पहली तारीख को पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करके दो भारतीय सैनिकों के शव के साथ हैवानियत का जो खेल फिर से खेला, उस पर पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष जनरल उमर जावेद बाजवा की पूर्ण सहमति थी। दरअसल, 17 अप्रैल को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी कारस्तानियों के जवाब में पाकिस्तानी सैनिकों को मारने की घटना से पाकिस्तानी सेना ‘कुछ करके दिखाना’ चाहती थी और 30 अप्रैल को पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष जनरल उमर जावेद बाजवा जब हाजी पीर स्थित पाक चौकियों के दौरे पर थे, तो उन्होंने भारतीय सेना से ‘बदला’ लेने की स्वीकृति दे दी। बाजवा की स्वीकृति के बाद ही पहली मई को पाकिस्तानी सेना ने हमारे जवानों के साथ हैवानियत दिखाई। उसके बाद दोनों देशों के मिलिट्री आपरेशंस के महानिदेशकों की टेलीफोन से बातचीत हुई, जिसमें पाकिस्तानी पक्ष ने बेशर्मी से यह कह दिया वह हर तरह की शांति के पक्ष में है और भारत को हैवानियत का सबूत देने की मांग की। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि पाकिस्तान को  इसका फल भुगतना होगा। इसके जवाब में पाकिस्तानी पक्ष ने भारत को संयम बरतने की सलाह दी और चेतावनी दी कि भारत की किसी भी कार्रवाई का माकूल जवाब दिया जाएगा। ताजा खबर यह है कि भारत सरकार ने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायुक्त को तलब करके बर्बरता के जिम्मेदार सैनिकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के समय नवाज शरीफ को दिए निमंत्रण के बाद, नवाज शरीफ के जन्मदिन पर मोदी के अचानक पाक दौरे के बाद, कुछ विदेशी नेताओं के पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों की निंदा के बाद तथा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मोदी-सेना की ओर से बहुत गाल फुलाए गए थे और बड़ी-बड़ी बातें की गईं, लेकिन स्पष्ट है कि वे सब दावे खोखले थे। मोदी ने अपनी तरफ से बहुतेरी कोशिश की कि पाकिस्तान सही रास्ते पर आ जाए और विश्व जनमत पाकिस्तान को आतंक के विरुद्ध कार्रवाई के लिए विवश कर दे। वैसा कुछ भी संभव नहीं हो पाया है। एक बार जब पाकिस्तान ने आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई की तो वह इसलिए कि उन आतंकवादियों ने पाकिस्तानी जनता को ही अपना शिकार बनाना आरंभ कर दिया था और छोटे-छोटे मासूम स्कूली बच्चों तक को नहीं बख्शा था, वरना आतंकवादी तो पाकिस्तानी शासकों और जनता में नायकों की तरह सम्मानित थे। पासा तब पलटा, जब आतंकवादियों ने पाकिस्तानी जनता को ही अपना शिकार बनाना आरंभ कर दिया, लेकिन वह भी एक अस्थायी स्थिति थी। घटना का एक पक्ष यह है कि कश्मीर में पाक सेना और आतंकवादियों की कार्रवाइयों पर कोई अंकुश नहीं लग सका है और दूसरा पक्ष यह है कि चुनाव आयोग ने अनंतनाग में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव को एक बार फिर टाल दिया है। यह उपचुनाव 13 अप्रैल को होना था, जिसे 25 मई तक के लिए टाल दिया गया था, लेकिन अब चुनाव आयोग ने कह दिया है कि अभी कश्मीर में स्थिति ऐसी नहीं है कि वहां स्वतंत्र चुनाव संभव हो सकें। चुनाव आयोग का कहना है कि कश्मीर में वांछित वातावरण न होने तथा अपर्याप्त सुरक्षा बलों की उपलब्धता के कारण उपचुनाव करवाना संभव नहीं है। पहले नौ अप्रैल को श्रीनगर सीट पर लोकसभा के उपचुनाव में मत प्रतिशत निराशाजनक रूप से कम था, जो सरकार और चुनाव आयोग के लिए शर्मिंदगी का बायस बना और जिसने अलगाववादियों के हौसले बढ़ाए। अब अनंतनाग सीट के उपचुनाव टल जाने से अलगाववादियों में उत्साह और बढ़ेगा।

दक्षिणी कश्मीर में इस समय आतंकवादियों का बहुत प्रभाव है। मोदी की कश्मीर नीति डा. मनमोहन सिंह की कश्मीर नीति की ही तरह अप्रभावी साबित हो चुकी है और ऐसा लगता है कि पाकिस्तान और कश्मीर के मामले में भारत सरकार के पास कोई नीति है ही नहीं और जब जैसा लगा, तुर्त-फुर्त निर्णय लेकर कुछ न कुछ कर दिया। कश्मीर में सेना की तैनाती बढ़ाने और भाषण देने के अलावा दिल्ली ने कुछ खास नहीं किया है, श्रीनगर जल रहा है और इस्लामाबाद बेरोकटोक हमारे सैनिकों के साथ हैवानियत कर रहा है तथा कश्मीरी जनता को बरगला रहा है। उसकी कार्रवाइयों का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। सारा देश इस मामले में सेना के साथ है और लोग मोदी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं कि वह कोई ठोस कार्रवाई करें तथा स्थिति को और बिगड़ने से बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। यह समय गंभीरता से सोचने का है। संयमित आचरण और राजनीतिक सूझ-बूझ वाली कार्रवाई की आवश्यकता है। यह तो स्पष्ट है कि अधिक सेना की तैनाती और बल प्रयोग से समस्या नहीं निपटेगी और यह फटाफट होने वाला काम नहीं है और न ही इसके परिणाम तुरंत आ जाएंगे। उम्मीद करनी चाहिए कि मोदी सरकार इसे गंभीरता से निपटाएगी और मोदी- सेना सिर्फ गाल बजाने और झूठ सच के मिश्रण  का प्रचार करने के बजाए ज्यादा संयम का  परिचय देगी। कश्मीर और देश के भले के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।

ई-मेल : features@indiatotal.com

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