कृषि विज्ञान में करियर करें खुशियों की खेती

By: May 10th, 2017 12:08 am

आमतौर पर लोग कृषि विज्ञान का मतलब खेतीबाड़ी ही लगाते हैं। लेकिन कृषि विज्ञान पाठ्यक्रम व्यापक है, जिसके अंतर्गत फसलों की निगरानी, आनुवंशिकी और पादप प्रजनन, फसलों पर लगने वाले कीड़ों का नियंत्रण, पौधों में लगने वाली बीमारियों का अध्ययन, मिट्टी की गुणवत्ता से संबंधित विषयों की जानकारी और उसके भीतर के लाभदायक जीवाणुओं के बारे में अध्ययन और उसे उर्वर बनाए जाने हेतु जानकारी हासिल की जाती है…

CEREERभारत शुरू से ही कृषि प्रधान देश रहा है। यहां की आबादी के 70 प्रतिशत लोग कृषि से सीधे जुड़े हैं। कृषि पर इतनी बड़ी आबादी की निर्भरता कृषि विज्ञान में रोजगार की असीम संभावनाओं का द्वार खोलती है। कुछ नया कर दिखाने वाले, नए विचार देने वाले, रचनात्मक कार्र्र्यों में रुचि दिखाने वाले युवक-युवतियों के लिए कृषि क्षेत्र में अच्छे वेतन पर सरकारी, निजी व बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम के अच्छे अवसर उपलब्ध हो सकते हैं। आमतौर पर लोग कृषि विज्ञान का मतलब खेतीबाड़ी ही लगाते हैं। लेकिन कृषि विज्ञान का पाठ्यक्रम व्यापक है, जिसके अंतर्गत फसलों की निगरानी, आनुवंशिकी और पादप प्रजनन, फसलों पर लगने वाले कीड़ों का नियंत्रण, पौधों में लगने वाली बीमारियों का अध्ययन, मिट्टी की गुणवत्ता से संबंधित विषयों की जानकारी और उसके भीतर के लाभदायक जीवाणुओं के बारे में अध्ययन और उसे उर्वर बनाए जाने हेतु जानकारी हासिल की जाती है।

कृषि विज्ञान में पाठ्यक्रम

कृषि विज्ञान में कई पाठ्यक्रम उपलब्ध है, जिन्हें आप अपनी रुचि के अनुसार चुन सकते हैं। इनमें कुछ प्रमुख पाठ्यक्रम हैं, बीएसी एग्रीकल्चर, बैचलर डिग्री इन हार्टिकल्चर, बैचलर ऑफ  फिशरीज साइंस, बैचलर ऑफ  फोरेस्ट्री साइंस, बैचलर ऑफ  होम साइंस, बैचलर ऑफ  फूड टेक्नोलॉजी, बैचलर ऑफ  वैटरिनरी एंड एनिमल हसबेंडरी और मास्टर इन इरीगेशन एंड वाटर मैनजेमेंट।

पाठ्यक्रम में प्रवेश कैसे

कृषि विज्ञान के विभिन्न पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उम्मीदवार का बारहवीं कक्षा में विज्ञान विषय में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इन पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए अभ्यर्थी को प्रवेश परीक्षा में गुजरना पड़ता है। ज्यादातर विश्वविद्यालयों में मई-जून महीने में अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। पाठ्यक्रम की अवधि तीन से चार साल की होती है। कृषि में स्नातकोत्तर डिग्री के बाद सरकारी क्षेत्र में सहायक प्राध्यापक और वैज्ञानिक के रूप में रोजगार उपलब्ध हैं। कृषि क्षेत्र में हो रहे नित नए-नए अनुसंधानों के बाद निजी क्षेत्र इस व्यवसाय में अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहा है। इससे करियर के अवसरों में भारी इजाफा हुआ है। वहीं एग्रोक्लीनिक और एग्रोबिजनेस के नाम से स्वरोजगार भी शुरू कर सकते हैं। साथ ही मधुमक्खी पालन और मुर्गी पालन जैसे रोजगार भी शुरू किए जा सकते हैं।

कृषि विज्ञानी का कार्य क्षेत्र

आमतौर पर कृषि विज्ञानी का कार्य फील्ड में ज्यादा होता है। वह खेतों में जाकर किसानों की समस्याओं से रू-ब-रू होकर उनका निदान उन्हें बताता है। कृषि विज्ञानी का कार्य किसान को खुशहाली की ओर लेकर जाना है। इसके लिए वह लैबोरेटरी से लेकर खेत तक अपने कार्य का निर्वहन करता है। बीज बोने से लेकर फसल काटने तक कृषि विज्ञानी किसान की मदद करता है।

रोजगार के विकल्प

कृषि में स्नातकोत्तर डिग्री के बाद सरकारी क्षेत्र में सहायक प्राध्यापक और वैज्ञानिक के रूप में रोजगार उपलब्ध हैं। कृषि क्षेत्र में हो रहे नए-नए अनुसंधानों के बाद निजी क्षेत्र इस व्यवसाय में  अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में शोध कार्य पूरा करने के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में वैज्ञानिक का पद पा सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिक के कार्य

कृषि उत्पादकता को बढ़ाने तथा कायम रखने में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। कृषि वैज्ञानिक खेती,फसलों तथा पशुओं पर अध्ययन करते हैं तथा उनकी मात्रा तथा गुणवत्ता में सुधार के लिए मार्ग तैयार करते हैं। कम श्रम के साथ फसलों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार, कोट तथा खरपतवारों पर सुरक्षित और प्रभावी तरीके से नियंत्रण और मृदा तथा जल संरक्षण में सुधार के उपायों के सुझाव देते हैं। वे कच्चे कृषि माल को उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक तथा स्वास्थ्यकर खाद्य उत्पादों में परिवर्तित करने की पद्धतियों से जुड़े अनुसंधान कार्य करते हैं। कृषि विज्ञान और जीव विज्ञान का बहुत निकट का संबंध है। कृषि वैज्ञानिक कृषि से जुड़ी समस्याओं को हल करने में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित और अन्य विज्ञानों के सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

 कृषि विश्वविद्यालय,पालमपुर (हिप्र)

 पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना

 हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार

 बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी

 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय, दिल्ली

 गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर (पंजाब)

 अलीगढ़ यूनिवर्सिटी अलीगढ़, उत्तरप्रदेश

 कालेज ऑफ   एग्रीकल्चर बंगलूर (कर्नाटक)

 बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कान्के, रांची

 कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र

कृषि विज्ञान की शाखाएं

खाद्य विज्ञान : खाद्य विज्ञानी या प्रौद्योगिकीविद सामान्यतः खाद्य संसाधन उद्योग या विश्वविद्यालयों या संघीय सरकार में नियुक्त किए जाते हैं। वे स्वास्थ्यपरक सुरक्षित और सुविधाजनक खाद्य उत्पादों की उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने में मदद करते हैं।

पादप विज्ञान : पादप विज्ञान में कृषि विज्ञान, फसल विज्ञान, कीट विज्ञान तथा पादप प्रजनन को शामिल किया गया है।

मृदा विज्ञान : इसमें पशु वैज्ञानिकों का कार्य है मांस कुक्कुट, अंडों तथा दूध के उत्पादन तथा प्रोसेसिंग के बेहतर और अधिक कारगर तरीकों का विकास करना। डेयरी, पशु प्रजनन तथा अन्य संबद्ध वैज्ञानिक घरेलू फार्म पशुओं के आनुवंशिकी पोषण, प्रजनन विकास तथा उत्पादन से जुड़े अध्ययन करते हैं।

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