गज़ल

By: May 1st, 2017 12:05 am

छोड़ो भी तकरार कि जीवन छोटा है,

यारो बांटो प्यार कि जीवन छोटा है।

निज-स्वार्थ के लिए रिश्ते से कटना मत,

म्यान में रख तलवार कि जीवन छोटा है।

घमंड की गठरी क्यों उठाए फिरता है,

जल्दी कर, उतार कि जीवन छोटा है।

तेरे सारे पूर्वज तो जग से चले गए,

तू भी मध्यमकार कि जीवन छोटा है।

इक दिन उसने कुंडी पाकर खींच लेना,

छोड़ देना संसार कि जीवन छोटा है।

रूठ गए जो उनको फिर जाकर मना लो,

फिर से करो इकरार कि जीवन छोटा है।

धरती एक सराय है मालिक कोई नहीं,

सब किराएदार कि जीवन छोटा है।

चुगली निंदा तो बंदे की आदत है,

क्यों खींचे दीवार कि जीवन छोटा है।

चुटकी की भांति उम्र सारी बीत गई,

किश्ती लग गई पार कि जीवन छोटा है।

निर्धन, राजा, संत, भिखारी-रूह एक है,

सबका कर सत्कार कि जीवन छोटा है।

सागर सारा गाह कर तट पर बैठा है,

अब कहता है यार कि जीवन छोटा है,

कैसे गिरता सुंदर निर्झर पर्वत से,

ऊंचा रख किरदार कि जीवन छोटा है।

अंबर छू ले, सागर गाह ले फिर न कहना,

यारो को फिर, यार कि जीवन छोटा है।

सामने आकर बात कर लो यदि करनी है,

पीठ पे ना कर वार कि जीवन छोटा है।

सजना प्यार में भरकर खुशबू, सुंदरता,

दे-दे एक उपहार कि जीवन छोटा है।

आंखें खोल कर रख मुंह से कुछ न कह

देखो ना संसार कि जीवन छोटा है।

अदान- प्रदान के तराजू में

सब रिश्ते व्यापार कि जीवन छोटा है।

खेवनहारे किश्ती को भीतर न रख

आर लगा या पार कि जीवन छोटा है।

वह मेरा, यह मेरा है-भ्रम तेरा,

फूलों के साथ खार कि जीवन छोटा है।

चांद सितारे रातों को रूशना देते

यूं करते उपकार कि जीवन छोटा है।

आ-जा, रूठ कर न जा बालम कहता है,

तेरे साथ त्योहार कि जीवन छोटा है।

बलविंदर बालम, गुरदासपुर

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)

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