नगरोटा अस्पताल तीन डाक्टरों के हवाले

By: May 22nd, 2017 12:05 am

नगरोटा बगवां  —  नगरोटा बगवां अस्पताल को सिविल अस्पताल का बाकायदा अधिसूचना के तहत दर्जा मिले डेढ़ साल से भी अधिक का समय गुजर गया, लेकिन व्यावहारिक तौर पर उक्त अभागे संस्थान को मात्र एक बोर्ड से अधिक कुछ भी नहीं मिल पाया। 15 अक्टूबर, 2015 को एक अधिसूचना के तहत प्रदेश सरकार ने न केवल इसे सामुदायिक केंद्र से स्तरोन्नत कर सिविल अस्पताल का दर्जा दिया, बल्कि दर्जे के मुताबिक स्टाफ  बगैरह की भी व्यवस्था कर लोगों को तसल्ली देने की कोशिश की, जो आज तक मजाक ही बनकर रह गई। एक समय था जब न केवल नगरोटा बगवां, बल्कि साथ लगते दूसरे विधानसभा क्षेत्रों के लिए भी महत्त्वपूर्ण माने-जाने वाले उक्त संस्थान में कई विशेषज्ञों सहित करीब आठ चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान करते रहे हैं, लेकिन मौजूद समय में मात्र तीन चिकित्सकों से ही काम को धकेला जा रहा है, जो सरकार की उदासीनता को दर्शाता है । इतना ही नहीं, नियमों के मुताबिक यहां इंडोर मरीजों के लिए निर्धारित 50 बिस्तरों की व्यवस्था भी आज तक न हो पाई। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने की वजह से यहां प्रसव के लिए आने वाली महिला मरीज भी स्वयं को ठगा हुआ महसूस करने लगी हैं तथा महिला मरीजों की संख्या का आंकड़ा भी दिन प्रतिदिन लुढ़कता जा रहा है, जो व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है। हैरानी की बात यह भी है कि विभाग ने डेढ़ दशक पहले लोगों की सुविधा के लिए यहां लाखों की अल्ट्रासाउंड मशीन तो स्थापित कर दी, लेकिन आज तक उक्त मशीन के लिए एक अदद रेडियोलॉजिस्ट का पद भी सृजित न हो पाया। उधर अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए अब संस्थान का कलेवर भी छोटा पड़ने लगा है। नतीजतन ओपीडी के बाहर मरीजों को बैठना तो दूर अपनी बारी के लिए खड़े होकर इंतजार करने की भी पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती । लोगों की मांग है कि अस्पताल की महत्ता को समझते हुए सरकार न केवल दर्जे के मुताबिक स्टाफ  व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाए, बल्कि भवन के रूप में पर्याप्त ढांचा भी उपलब्ध हो।

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