पहेलियां

By: May 7th, 2017 12:05 am

राजा महाराजाओं के यह, कभी बहुत ही आया काम। संदेशा इसने पहुंचाया, सुबह चाह या  शाम। बतलाओ अब इसका नाम।

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कभी बड़ा हो कभी हो छोटा, माह में एक दिन मारे गोता।

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पीली पोखर, पीले अंडे जल्द बता नहीं, तो मारूं डंडे।

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एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वह उसी की सूरत। फिक्र पहेली पाई न बूझन लागा आई न।

सीधी होकर वह बहती है,  उल्टी होकर वाह-वाह कहती है।

  1. कबूतर 2. चंद्रमा 3. बेसन की कढ़ी, 4. आईना, 5. हवा

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