शब्द वृत्ति
पुनर्विचार याचिका
( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )
आईसीजे, का फैसला, उन्हें नहीं मंजूर,
क्या शरीफ क्या कुरैशी, सदमे में हैं चूर।
चार सौ चालीस वोल्ट की, मिली करारी हार,
आज पराजय चाट ली, मुंह की खाई मार।
चांटा ऐसा जड़ दिया, सूज गए सब गाल,
भौं-भौं करता फिर रहा, हाल बड़ा बेहाल।
सबसे ऊंचा फैसला, सबसे ऊंचा न्याय,
फिर भी आंख दिखा रहा, बेशक पिटता जाए।
फिर अपील खारिज हुई, डूबा पाकिस्तान,
बिक गई इज्जत आबरू, रोज बिका ईमान,
छुपकर खंजर मारता, तुझको बारंबार।
चाबुक पर चाबुक पड़े, गया तिलमिला पाक,
ऐंठ कभी जाती नहीं, रस्सी हो गई खाक।
नाक उड़ गई हेग में, बहती अब नकसीर,
सरेआम बाजार में हरण हो गया चीर।
झूठ, झूठ पर झूठ है, झूठा है नापाक,
क्या तू सचमुच पाक है, गिरेबान में झांक।
पुनर्याचिका कर रहा, मांग रहा फिर भीख,
उल्लू, गदहों को भला, शर्मा क्या दे सीख।
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