शिव की उपासना से शनि को करें प्रसन्न

By: May 20th, 2017 12:10 am

शिव की उपासना से शनि को करें प्रसन्नज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक जिन ग्रहों की दृष्टि बहुत रौद्र होती है, उनकी रौद्र स्वभाव के चलते व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे ग्रहों के प्रभाव के कारण व्यक्ति अनिश्चितता का शिकार रहता है और हाथ आई हुई सफलता भी फिसल जाती है। शनि का कठोर दंडविधान के कारण भी व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करता पड़ता है। इसी तरह, शनि और राहु की कुंडली में बुरे योग गंभीर और मृत्यु के समान शारीरिक और मानसिक पीड़ाओं को देने वाले भी साबित हो सकते हैं। इन ग्रहों के योग से ही किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प, पितृदोष बनते हैं। माना जाता है कि इन दोषों से किसी भी व्यक्ति के जीवन में गहरी मानसिक परेशानियां भी पैदा होती हैं। धार्मिक मान्यताओं में सारे ग्रह काल गणना के आधार हैं और चूंकि काल पर शिव का नियंत्रण है, इसलिए महाकाल यानी शिव की उपासना ग्रह दोषों की शांति के लिए बहुत असरदार मानी गई है। ऐसे ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करने के लिए शिव के प्रभावशाली मंत्रों का जाप बहुत सहायक होता है। भगवान शिव के मंत्र  ग्रह पीड़ा ही दूर नहीं करते बल्कि मनचाहे फल भी प्रदान करते हैं।  शिव गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र, ऐसे ही प्रभावशाली मंत्र हैं। क्रूर ग्रहों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए शनिवार, सोमवार, शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची चढाएं। भगवान शिव से संबंधित मंत्रों का जाप करें। शनि के प्रकोप से मुक्ति प्राप्त करने के लिए तो शिव आराधना विशेष सहायक होती है, शनिदेव परम शिव भक्त हैं और शिव के आदेश के मुताबिक ही शनि जगत के हर प्राणी को कर्मों के आधार पर दंड देते हैं। इसीलिए शनि या राहु आदि ग्रह पीड़ा शांति के लिए शिव की पूजा खासतौर पर शनिवार, सोमवार को बहुत ही कारगर होती है। पूर्व जन्मों के प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करनी हो या शनि के प्रकोप से बचना हो, तो भगवान शिव की शरण में जाएं, आशुतोष भगवान शिव का आशीर्वाद सभी समस्याओं का शमन करने में सक्षम हैं।

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