सबको रुलाकर चला गया राजपरिवार का राजकुमार

By: May 13th, 2017 12:25 am

फूट-फूट कर रोया कुल्लू, महेश्वर सिंह को संभालना हुआ मुश्किल

तीन बार बंजार का प्रतिनिधित्व

कर्ण सिंहकर्ण सिंह का जन्म अक्तूबर 1957 में कुल्लू के राज परिवार स्वर्गीय राजा मोहिंद्र सिंह तथा महारानी यीना देवेश्वरी के घर हुआ। उनकी शादी शिवानी से हुई। कर्ण सिंह ने तीन बार बंजार विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और प्राथमिक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरण मंत्री रहे। वह दो बार कुल्लू जिला भाजपा के अध्यक्ष रहे और वर्ष 2008 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। वर्ष 2012 में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में निर्वाचित घोषित किए गए और आयुर्वेद व सहकारिता मंत्री बने। उधर, महेश्वर सिंह को अनुज कर्ण सिंह के निधन ने अंदर से तोड़ दिया है। शुक्रवार को दिन भर रूपी पैलेस में लोगों का सैलाब उमड़ा तो महेश्वर अपने छोटे भाई के आने की राह ताकने लगे।

राजपरिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

newsकुल्लू— मंत्री कर्ण सिंह के निधन ने कुल्लू राजपरिवार पर फिर से दुखों का पहाड़ ला खड़ा कर दिया है। कर्ण सिंह की पार्थिव देह को शुक्रवार शाम करीब चार बजे कुल्लू पहुंचाया गया तो राजपरिवार समेत पूरे कुल्लू ने फूट-फूट कर रोते हुए उनके अंतिम दर्शन किए। अग्रज राजा महेश्वर सिंह ने देर रात को जब उनकी मौत की खबर सुनी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। पूरा दिन और पूरी रात अपने  भाई की याद में वह फफक-फफक कर रोते रहे। महेश्वर अपने भाई से बेहद प्यार करते थे। राजमाता को जब अपने राजकुमार के इस दुनिया को अलविदा कहने का पता चला तो मानों वह पत्थर सी हो गईं। पल-पल आंसू बहते रहे, लेकिन दुख किसको बताए यह समझ नहीं आ रहा था। कर्ण सिंह की अर्धांगिनी शिवानी सिंह दिल्ली में ही उनके साथ थीं और गम के पहाड़ ने उनक आंसू ही सुखा दिए। यही हाल बेटे आदित्य विक्रम सिंह का था। पिता को मुखाग्नि दी तो आंसुओं के सैलाब को रोक नहीं पाए। पहले भाई और अब पिता के साथ छोड़ने का एहसास जैसे ही होता तो आंखों से आंसू निकल आते। कर्ण सिंह की भाभी समेत भतीजे दानवंेद्र सिंह और हितेश्वर सिंह राजकुमार को तिरंगे में लिपटा देख आंसुओं को रोक नहीं पाए। और तो और राजा महेश्वर सिंह के पोते-पोतियों को जब छोटे दादा के इस दुनिया में न रहने का समाचार दिया गया तो वे भी अपने आप को रोक नहीं पाए। साल 2010 के बाद से कुल्लू के राजपरिवार पर चार बार दुखों का पहाड़ गिरा है। कर्ण सिंह के बड़े बेटे की जब नोएडा में एक दुर्घटना में दुखद मौत हुई तो राजपरिवार सकते में आ गया था। इसके बाद साल 2013 व 14 में दो बार भगवान रघुनाथ मंदिर में चोरी की घटनाएं हुईं तो पूरा राजपरिवार इससे दहल उठा था, वहीं अब कर्ण सिंह की मौत ने फिर से राजपरिवार पर दुखों का पहाड़ ला दिया है। दोपहर बाद सुल्तानपुर में हर कोई राजकुमार के निधन से आंसुओं को रोक न पाया।

राज्यपाल ने जताया शोक

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आयुर्वेद व सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह ने निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने आयुर्वेद के प्रसार तथा आयुर्वेद को कृषि से संबद्ध करने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

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