समसामयिकी

By: May 31st, 2017 12:07 am

भूपेन हजारिका सेतु

समसामयिकीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 26 मई को रणनीतिक रूप से बेहद अहम तथा देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया, जो चीन सीमा के पास असम व अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है। ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी लोहित पर निर्मित इस पुल का नाम गायक दिवंगत भूपेन हजारिका के नाम पर रखा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पुल का नाम धरती के लाल, ब्रह्मपुत्र के बेटे और ब्रह्मपुत्र को पूजने वाले के नाम पर रखने का फैसला किया है। वह दिवंगत भूपेन हजारिका हैं। यह पुल 60 टन वजनी युद्धक टैंकों का भार वहन कर सकता है। यह देश की पूर्वी सीमा के विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना को सुगमता प्रदान करेगा। साथ ही यह चीन की सीमा से करीब 100 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश के एनिनी तक असैन्य तथा सैन्य सामग्री को पहुंचाने में मददगार होगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा 950 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से निर्मित यह पुल अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के रणनीतिक लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है। यह पुल केवल इस क्षेत्र के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश की आर्थिक क्रांति की नई शुरुआत करेगा। असम के तिनसुकिया जिले के सादिया और ढोला के बीच बना 9.15 किलोमीटर लंबा पुल न केवल असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच 165 किलोमीटर की दूरी कम कर देगा, बल्कि इससे दोनों राज्यों के बीच यात्रा के पांच घंटे भी बचाए जा सकेंगे।

पुल की खूबियां

* यह देश और एशिया का सबसे लंबा पुल है। इस पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर है। मुंबई बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 30 फीसदी ज्यादा लंबा है।

* एशिया का ये सबसे लंबा पुल असम के जिला तिनसुकिया में बना है।

* ये पुल ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदी लोहित नदी पर बना है।

* यह पुल सादिया और ढोला के बीच बना हैण् सादियाए असम में गुवाहाटी से 540 किलोमीटर दूर है। ढोला अरुणाचल की राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर दूर है।

* इस पुल से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी को कम होगी। अब तक अरुणाचल जाने के दूसरे सड़क रास्ते से 8 घंटे का वक्त लगता था और नाव से साढ़े 4 घंटे का, लेकिन इस पुल के बनने से यह दूरी केवल आधे घंटे में पूरी कर ली जा सकेगी यानी कम से कम 4 घंटे की सीधी बचत।

* इस ब्रिज के ऊपर से 60 टन का लड़ाकू टैंक आसानी से लेकर जाया जा सकता है।

* इस पुल के जरिए सैन्य साजो सामान आसानी से अरुणाचल प्रदेश के अनिनी में बने सामरिक ठिकाने तक पहुंचाया जा सकेगाण् अनिनी चीन की सीमा से सिर्फ 100 किलीमोटर ही दूर है।

* इस पुल को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि इस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाडि़यां चल सकें ताकि तेज आवाजाही हो पाए।

* इस पुल के बनने के बाद पूर्वोत्तर भारत में विकास को पंख लगेंगेए क्योंकि अब तक इस इलाके में कोई भी पुल नहीं है

* इस पुल की शुरुआत साल 2011 में हुई थी, जिसके लिए तय बजट 876 करोड़ था। इसे साल 2015 में पूरा कर लिया जाना था, लेकिन 2017 में पूरा हुआ।

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