समाज सेवा को समर्पित रहे कामरेड राम चंद्र

By: May 21st, 2017 12:05 am

स्वतंत्रता संग्राम में निभाई सक्रिय भूमिका, 20 साल तक किया नूरपुर-जवाली का नेतृत्व

नूरपुर – महान स्वतंत्रता सेनानी कामरेड राम चंद्र जी का जन्म दिनांक 23 मई, 1903 को गांव रैहन तहसील नूरपुर जिला कांगड़ा में पिता लाला कृपा राम तथा माता फूलरानी के घर हुआ। इनके पिता जी उस समय के आठवीं कक्षा पास थे। श्री कृपा राम जी एक दुकानदार थे व कुछ भूमि के मालिक थे। वह एक प्रबुद्ध बुद्धिजीवी थे व लोग उन्हें दिवान जी के नाम से पुकारते थे। समाज के प्रति बहुत चेतना रखते थे। उनके विचारों में आर्य समाज की झलक व पूरा आर्य समाज का प्रभाव था। एक बार अजीत सिंह जो कि राष्ट्र भगत सिंह के चाचा थे। गांव रैहन में आए। उस वक्त वह एक साधु के भेस में थे। प्राइमारी स्कूल रैहन में उस्ताद (अध्यापक) लखू राम जी पढ़ाते थे। लाला कृपा राम व उनके बेटे कामरेड राम चंद्र व सारा परिवार उस्ताद लखू राम जी के छात्र रहे। उस समय जब भी कोई मेहमान गांव में आता था तो श्री लखू राम जी उसे कृपा राम जी के घर ले आते थे। यहां उनका रहना व भोजन की व्यवस्था राम चंद्र जी के पूज्य माता फूलरानी जी पूरी लगन से करती थी। अजीत सिंह ने अपने संक्षिप्त प्रवास के दौरान अपने आर्य समाजी विचारों व समाजवाद पर खूब चिंतन किया और कुछ साहित्य भी दिया। उन्होंने लाहौर से काफी साहित्य पुस्तकें जो कि क्रांतिकारियों भाई परमानंद लाला हरदयाल आदि द्वारा लिखी होती थी।  दलित मजदूर, मिसान, सैन्य वल के रिटायर व हाजिर कर्मियों के हक के लिए वह कोई भी कुर्बानी देने के लिए सदा तैयार रहते थे। अपने पूरे जीवन में किसी संबंधों की कमी नाजायज सिफारिश नहीं की। बड़े से बड़े लोगों के विरुद्ध न्याय के लिए बिना झिझक खड़े हो जाते थे। कभी जीवन में किसी पद की लालसा नहीं रखी। हर गरीब आदमी के वह परम मित्र थे। 20 वर्ष तक वह नूरपुर-जवाली चुनाव क्षेत्र से विधायक रहे। सिद्धांतवादी होने के नाते किसी मंत्री या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की उन्होंने परवाह नहीं की। किसी भी इनसान के साथ अन्याय होता नहीं देख सकते थे। राम चंद्र स्वतांत्रा संग्राम के पुरोधा वर्ष दिसंबर, 1997 में इस संसार को छोड़ कर ईश्वर में तत्वलिन हो गए। उनका जन्म दिन 23 मई के दिन हर वर्ष उनकी प्रतिमा पर पुष्प माला अपर्ण कर कामरेड राम चंद्र वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रैहन में नई पीढ़ी को राष्ट्र चेतना दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है।

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