सरकारी अनदेखी के शिकार चित्रकार

By: May 20th, 2017 12:02 am

लेखराम ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं

हिमाचल प्रदेश में उच्चकोटि के चित्रकार हैं, जो मूल रूप से हिमाचली हैं। इनके चित्रों की शैली राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों की शैलियों के समकक्ष और उत्कृष्ट है, परंतु प्रदेश की गलत एवं चित्रकार विरोधी नीतियां उनकी एवं प्रदेश की प्रगति में बाधक हैं। अतः सरकार समय रहते अपनी नीतियां सुधारे और नव सृजन करने की दिशा में चित्रकारों को आगे बढ़ने दे…

वर्तमान सरकार के निर्णय, घोषणाएं और आश्वासनों का अवलोकन करने का सही समय सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में होता है। जहां सरकार ने कुछ क्षेत्रों में कुछ करने का प्रयास किया है, वहीं कुछ क्षेत्रों की अनदेखी हुई है या यूं कहे कि हिमाचली चित्रकारों से विश्वासघात होता रहा है, वह क्षेत्र चित्रकला का है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश के चित्रकारों और उनके कार्य का सरकार की नजर में कोई मूल्य नहीं है, जिस कारण कई चित्रकार प्रदेश से अन्य राज्यों को पलायन करते रहे हैं। आज पर्यटन के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है, परंतु पर्यटकों के ठहराव में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है, इसलिए पर्यटन विभाग राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर स्थापित सरकारी और निजी क्षेत्र की आर्ट गैलरियों, संग्रहालयों, उद्यानों, ऐतिहासिक स्थलों को चिन्हित करे। पर्यटक वाहनों की कुछ समय के ठहराव की व्यवस्था करे तथा अपनी विभागीय बेवसाइट में दर्शाएं। निचले हिमाचल में ऐसे स्थल चिन्हित करके उन्हें विकसित किया जाए। यदि चित्रकला को पर्यटन से जोड़ा जाए और हिमाचली मूल के चित्रकारों को सुविधाएं प्रदान करे, तो निश्चय ही हिमाचली चित्रकारों को अपना हुनर देश-विदेश में प्रचारित करने का मौका मिलेगा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

इतिहास साक्षी है कि हम चित्रकला के माध्यम से ही अपनी तथा समूचे विश्व की संस्कृति की जानकारी हासिल कर पाए हैं। इसलिए आज आवश्यकता है प्रदेश सरकार भाषा एवं संस्कृति विभाग से यह जानकारी ले कि प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र में कितने चित्रकार कार्य कर रहे हैं और किस स्तर का कार्य कर रहे हैं। सरकारी, निजी क्षेत्र में कितनी आर्ट गैलरियां कार्य कर रही हैं, उन्हें क्या समस्याएं पेश आ रही हैं, उन्हें आवश्यकतानुसार आर्थिक एवं अन्य प्रकार की सहायता प्रदान की जाए। उनके द्वारा हस्त निर्मित चित्रों को समय-समय पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभाग द्वारा प्रदर्शित करने की व्यवस्था की जाए, जिसका सारा खर्च सरकार द्वारा देय हो। सरकारी एवं निजी क्षेत्र में स्थापित आर्ट गैलरी के रखरखाव और विकसित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की जाए। जिला मुख्यालयों में आर्ट गैलरी का निर्माण किया जाए और वहां हिमाचली मूल के चित्रकारों की हस्त निर्मित कलाकृतियों को रखा जाए। दुर्भाग्य की बात है कि लगभग सवा वर्ष पूर्व समाचार पत्र के माध्यम से ज्ञात हुआ कि राज्य संग्रहालय शिमला भविष्य में आर्ट गैलरी स्थापित कर रहा है, जिसमें हिमाचली मूल के चित्रकारों को विकसित करने के उद्देश्य से हिमाचली चित्रकारों द्वारा चित्रित कलाकृतियों को खरीद कर आर्ट गैलरी में रखा जाएगा, परंतु आज तक चित्रकारों के चित्रों को संबंधित विभाग और सरकार खरीदने में सफल नहीं हो पाई है और भविष्य में भी ऐसा नहीं लग रहा है कि यह संभव हो पाएगा, क्योंकि सरकार आर्थिक तंगी का रोना रो देगी और यदि अपने चहेतों को पुरस्कार राशि देनी हो तो बजट में प्रावधान हो जाता है।

चित्रकला को प्रचारित एवं बढ़ावा देने की कोई ठोस योजना राज्य सरकार और विभाग आज तक नहीं बना पाया है। ज्ञात हुआ कि बाहरी राज्य से आए चित्रकारों को सरकार सम्मानित कर रही है, जबकि हिमाचली मूल निवासियों में भी उच्चकोटि के चित्रकार हैं, पर उन्हें अनदेखा कर दिया गया। कितना दुख होता है यह जानकर जब अपने घर में ही बेगानों जैसा व्यवहार होता है। ज्ञात हुआ कि सरकार चित्रकला के क्षेत्र को सबसे कम बजट का प्रावधान करती है, जबकि चित्रकला का बजट भी अन्य क्षेत्रों के बजट के बराबर या उनसे अधिक होना चाहिए। क्योंकि सरकार की रणनीति के तहत चित्रकला के बजट पर कैंची चलती रही है, जबकि सरकार सबके समान विकास करने का दावा करती है, जो वास्तव में सही नहीं है। हिमाचल प्रदेश में उच्चकोटि के चित्रकार हैं, जो मूल रूप से हिमाचली हैं। इनके चित्रों की शैली राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों की शैलियों के समकक्ष और उत्कृष्ट है, परंतु प्रदेश की गलत एवं चित्रकार विरोधी नीतियां उनकी एवं प्रदेश की प्रगति में बाधक हैं। अतः सरकार समय रहते अपनी नीतियां सुधारे और नव सृजन करने की दिशा में चित्रकारों को आगे बढ़ने दे। पहाड़ी शैली एवं अन्य शैलियों में हस्त निर्मित चित्रों का निरीक्षण करे और सभी शैलियों में नव हस्तनर्मित चित्रों का निर्माण सभी जिला के चित्रकारों से कराए और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्लेटफार्म उपलब्ध कराने में सहयोग दे। इससे राज्य व देशहित में कार्य होगा जो आने वाली पीढ़ी के मार्गदर्शन का काम करेगा। इसके लिए सरकार को मौखिक घोषणाओं की अपेक्षा गंभीरता से निर्णय लेना होगा, परंतु वर्तमान सरकार चित्रकारों की अनदेखी कर रही है। हर क्षेत्र में प्रतिभा का पलायन इसी तरह होता रहा, तो प्रदेश खाली हाथ रह जाएगा। इससे पहले कि प्रदेश की प्रतिभा पलायन करे, सरकार को कुंभकर्णी नींद से जागना होगा।

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