सुगंध चिकित्सा

By: May 31st, 2017 12:07 am

सुगंध चिकित्सासुगंध चिकित्सा यानी एरोमाथैरेपी किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य की बेहतरी तथा तंदुरुस्ती के लिए सुगंधित तेलों के प्रयोग को कहा जाता है। यद्यपि पुरातन इजिप्त, ग्रीक तथा रोमन कालों में विभिन्न पौधों से निकाले जाने वाले ऐसे सुगंधित तेलों का उपयोग किया जाता रहा है, जिनमें कि अत्यधिक विशिष्ट सुगंध होती है तथापि इन तेलों में अनगिनत अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषताएं होती हैं तथा विभिन्न तेल प्रतिरोधक, विषाणु विरोधी तथा रोगाणुरोधक होते हैं। सुगंधित तेलों को सुवास तथा उपचार हेतु हजारों वर्षोंे से यहां तक कि पुरातन इजिप्तकाल से पहले से प्रयुक्त किया जाता रहा है। शरीर को सुगंधों से अलंकृत करना सुगंधित तेलों पर ही अत्यधिक निर्भर करता है तथा ग्रीक योद्धा युद्ध के मैदान में जाने से पूर्व स्वयं को तेलों द्वारा अभ्यंजित करने के लिए मशहूर थे। 200 वर्ष पहले मध्यपूर्व में जो बहुमूल्य उपहार भेट स्वरूप दिए जाते थे, उनमें गंधराज तथा लोबान भी शामिल थे। ब्रिटेन और यूरोप में लोकप्रियता हासिल करने के बाद  सुगंध चिकित्या आस्ट्रेलिया, जापान और अमरीका में सुगंध चिकित्सा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। जहां तक कि भारत की बात है तो हमारी सभ्यता में प्राचीनकाल से ही सुगंध चिकित्सा का बोलबाला रहा है। भारत इन सुगंधित तेलों और इनका उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री का अपना एक विशेष महत्त्व है। आयुर्वेद में सुगंधित तेलों से शरीर की मालिश करने की विधि का उपयोग होता है। इसके अलावा इत्र, धूप, अगरबत्ती जैसी वस्तुएं भी भारतीय सभ्यता से बहुत लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। आज सुगंध चिकित्सा न सिर्फ  इलाज, बल्कि रोजगार के लिहाज से भी भारत में व्यापक संभावनाओं के तौर पर विकसित हो रही है। नेचुरल चीजों के प्रति बढ़ते रुझान के कारण आज सेहत सुधार के लिए सुगंध चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाने लगा है। भारत में सुगंध चिकित्सा के माध्यम से प्रकृति की ओर वापसी की धारणा को फिर से प्रचलित करने का श्रेय शहनाज हुसैन,ब्लासम कोचर और भारती तनेजा जैसे नामों को जाता है। इन्होंने ही आम आदमी को ये विकल्प दिए हैं, जिनके चलते वह एक बार फिर से प्राकृतिक उत्पादों में विश्वास करने लगा है।

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