सेई कोठी के पास है ‘खोहली खड्ड’ और ‘बैरा खड्ड’ का संगम

By: May 24th, 2017 12:05 am

सेई कोठी गांव के समीप ‘खोहली खड्ड’ और ‘बैरा खड्ड’ का संगम हो जाता है। इस खड्ड में टोपी धार से प्रवाहित होने वाली ‘शुक्राली खड्ड’ तथा चिल्यूंडा के शिखरों से प्रवाहित होने वाली ‘ढांजू खड्ड’ भी सम्मिलित हो जाती हैं…

हिमाचल की नदियां

रावी नदी – इस प्रकार एक विशाल जलधारा वाहिनी बनकर ‘बलसियों खड्ड’ का ‘बडियों’ नामक स्थान पर बैरा खड्ड के साथ संगम हो जाता है और आगे यह खड्ड विशाल ‘बैरा नदी’ बन जाती है। अपर चुराह के दक्षिण-पश्चिम की शिखर पट्टी मैहलवार के नाम से जानी जाती है, जहां एक मैहल नाम की सुरमय डल झील है।

इस झील से पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली जलधारा समस्त मैहलवार की शिखर पट्टियों के जल को अपने में समाहित करती हुई ‘मंगली खड्ड’ के नाम से जानी जाती है। इस जलधारा में भ्रिखू धार से प्रवाहित होने वाली ‘खड्ड पियूली’ भी मिल जाती है और उसके आगे इस विशाल खड्ड को ‘खोहली खड्ड’ के नाम से जाना जाता है। सेई कोठी गांव के समीप ‘खोहली खड्ड’ और ‘बैरा खड्ड’ का संगम हो जाता है।

इस खड्ड में टोपी धार से प्रवाहित होने वाली ‘शुक्राली खड्ड’ तथ चिल्यूंडा के शिखरों से प्रवाहित होने वाली ‘ढांजू खड्ड’ भी सम्मिलित हो जाती हैं। दूसरी ओर कैहला धार के वनों से बहने वाली खड्ड जिसे ‘बुकणों खड्ड’ कहते हैं, का गांव प्रतिमास के समीप ‘बैरा खड्ड’ में विलय हो जाता है। तीसा के दक्षिण-पश्चिमी जोतां की पट्टी को ‘मक्कण’ और ‘मराली’ कहते हैं। इन दोनों पर्वत श्रेणियों का जल एकत्रित होकर ‘मक्कन खड्ड’ का सृजन करता है। इस जलधारा में तीन अन्य प्रमुख खड्डें सम्मिलित होती हैं।

मक्कण जोत की उत्तरी शिखर श्रेणियों का जल ‘सनवाल खड्ड’ का सृजन करता है, यह खड्ड भी मक्कण खड्ड की मुख्य धारा में विलीन हो जाती है। बढ़नौता धार और शक्तूणी धारों का सारा पानी एकत्रित होकर ‘शक्ति खड्ड’ का सृजन करता है। यह खड्ड भी ‘मक्कण खड्ड’ में जा मिलती है, परंतु इससे आगे इस विशाल जलधारा को ‘चंद्रेश खड्ड’ कहते हैं।

‘चंद्रेश खड्ड’ का खखड़ी नामक स्थान पर ‘बैरा खड्ड’ के साथ विलय होता है। अपर चुराह के मुख्यालय ‘तीसा’ के पूर्व में विशालकाय काहलों जोत की शिखर पट्टी है। इन सभी शिखरों का जल एकत्रित होकर ‘तीसा खड्ड’ का सृजन करता है। इस जलधारा में मुख्यतः चार अन्य खड्डें सम्मिलित होती हैं। काहलों जोत की उत्तरी पर्वत श्रेणियों  का जल ‘बाड़ा खड्ड’ का सृजन करता है। यह खड्ड भी शलान नामक स्थान पर तीसा खड्ड के साथ मिल जाती है। काहलों जोत की दक्षिणी-पट्टी नागणी धार कहलाती है।

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