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By: May 14th, 2017 12:05 am

नीलम संजीव रेड्डी

जन्मदिवस 19 मई

नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति के रूप में जाने जाते हैं। नीलम संजीव रेड्डी भारत के ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होते हुए प्रथम बार विफलता प्राप्त हुई और दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने पर राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। प्रथम बार इन्हें वीवी गिरि के कारण बहुत कम अंतर से हार स्वीकार करनी पड़ी थी। तब यह कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गए थे और अप्रत्याशित रूप से हार गए। दूसरी बार गैर कांग्रेसियों ने इन्हें प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुए। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब वीवी गिरि को राष्ट्रपति चुनाव जीतने में सफलता प्रदान कराई, तब यह लगा था कि नीलम संजीव रेड्डी ने एक ऐसा मौका गंवा दिया है, जो अब उनकी जिंदगी में कभी नहीं आएगा, लेकिन राजनीति के पंडितों के अनुमान और दावे धरे रह गए।  भाग्य की शुभ करवट ने नीलम संजीव रेड्डी जैसे हारे हुए योद्धा को विजयी योद्धा के रूप में परिवर्तित कर दिया। यह भारतीय राजनीति के ऐसे अध्याय बनकर सामने आए, जो अनिश्चितता का प्रतिनिधित्त्व करते नजर आते हैं। संजीव रेड्डी भारत के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे, जो निर्विरोध निर्वाचित हुए।

 रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को इल्लुर ग्राम, अनंतपुर जिले में हुआ था, जो आंध्र प्रदेश में है। आंध्र प्रदेश के कृषक परिवार में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी की छवि कवि, अनुभवी राजनेता एवं कुशल प्रशासक के रूप में थी। नीलम संजीव रेड्डी की प्राथमिक शिक्षा थियोसोफिकल हाई स्कूल अड़यार, मद्रास में संपन्न हुई। आगे की शिक्षा आर्ट्स कालेज, अनंतपुर में प्राप्त की। महात्मा गांधी के आह्वान पर जब लाखों युवा पढ़ाई और नौकरी का त्याग कर स्वाधीनता संग्राम में जुड़ रहे थे, तभी नीलम संजीव रेड्डी मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही इस आंदोलन में कूद पड़े थे। इन्होंने भी पढ़ाई छोड़ दी थी। संजीव रेड्डी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया था। यह उस समय आकर्षण का केंद्र बने, जब उन्होंने विद्यार्थी जीवन में सत्याग्रह किया था। वह युवा कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होंने कई राष्ट्रवादी कार्यक्रमों में हिस्सेदारी भी की थी। इस दौरान इन्हें कई बार जेल की सजा भी काटनी पड़ी।

नीलम संजीव रेड्डी का विवाह 8 जून, 1935 को नागा रत्नम्मा के साथ संपन्न हुआ था। इनके एक पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं। बीस वर्ष की उम्र में ही  रेड्डी काफी सक्रिय हो चुके थे। राज्य की राजनीति में भी एक कुशल प्रशासक के तौर पर इनका प्रभाव अनुभव किया जाने लगा था। वह 1936 में आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के सामान्य सचिव निर्वाचित हुए और इस पद पर 10 वर्ष से अधिक समय गुजारा। यह इस बात को सिद्ध करता है कि वह प्रतिभावान थे और उनमें नेतृत्व के गुण थे। नीलम संजीव रेड्डी संयुक्त मद्रास राज्य में आवासीय वन एवं मद्य निषेध मंत्रालय के कार्यों का भी संपादन करते थे। 1 जून, 1996 को वह स्वर्ग सिधार गए।

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