हफ्ते का खास दिन

By: May 21st, 2017 12:05 am

रास बिहारी बोस

जन्मदिन 25 मई

रास बिहारी बोस का जन्म 25 मई, 1886 हुआ था। वह प्रख्यात वकील और शिक्षाविद थे। रास बिहारी बोस प्रख्यात क्रांतिकारी तो थे ही, सर्वप्रथम आजाद हिंद फौज के नर्माता भी थे। देश के जिन क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता प्राप्ति तथा स्वतंत्र सरकार का संघटन करने के लिए प्रयत्न किया, उनमें श्री रास बिहारी बोस का नाम प्रमुख है। रास बिहारी बोस कांग्रेस के उदारवादी दल से संबद्ध थे। रास बिहारी बोस ने उग्रवादियों को घातक, जनोत्तेजक तथा अनुत्तरदायी आंदोलनकारी कहा। रास बिहारी बोस उन लोगों में से थे जो देश से बाहर जाकर विदेशी राष्ट्रों की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध वातावरण तैयार कर भारत की मुक्ति का रास्ता निकालने की सोचते रहते थे। 1937 में उन्होंने भारतीय स्वातंय संघ की स्थापना की और सभी भारतीयों का आह्वान किया तथा भारत को स्वातंत्रय राष्ट्र घोषित कर दिया। प्रथम महायुद्ध में सशस्त्र क्रांति की जो योजना बनाई गई थी, वह रास बिहारी बोस के ही नेतृत्व में निर्मित हुई थी। सन् 1912 ई. में वायसराय लार्ड हार्डिंग पर रास बिहारी बोस ने ही बम फेंका था। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की सारी शक्ति रास बिहारी बोस को पकड़ने में व्यर्थ सिद्ध हुई। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी रास बिहारी बोस ने क्रांतिकारी दल का संघटन किया। इसका गठन करने के लिए रास बिहारी बोस को व्यापक रूप से देश का बड़ी ही सतर्कता से भ्रमण करना पड़ता था। रासबिहारी बोस के क्रांतिकारी कार्यों का एक प्रमुख केंद्र वाराणसी रहा है, जहां आप गुप्त रूप से रहकर देश के क्रांतिकारी आंदोलन का संचालन किया करते थे। वाराणसी से सिंगापुर तक क्रांतिकारियों का संघटन करने में आपको सफलता मिली थी। क्रांतिकारी कार्यों में आपके प्रमुख सहायक श्री पिंगले थे। 21 फरवरी, सन् 1915 ई.को एक साथ सर्वत्र विद्रोह करने की तिथि निश्चित की गई थी किंतु दल के एक व्यक्ति द्वारा भेद बता दिए जाने के कारण योजना सफल न हो सकी। इतना अवश्य कहा जाएगा कि सन् 1857 की सशस्त्र क्रांति के बाद ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का इतना व्यापक और विशाल क्रांतिकारी संघटन एवं षड्यंत्र नहीं बना था। भेद प्रकट हो जाने के कारण श्री पिंगले को तो फांसी पर चढ़ना पड़ा किंतु श्री रास बिहारी बोस बच निकले। फिर रास बिहारी बोस ने विदेश जाकर क्रांतिकारी शक्तियों का संघटन कर देश को स्वाधीन करवाने का प्रयत्न किया। भारतीय स्वातंत्रय संघ की स्थापना बड़ी ही कुशलता तथा सतर्कता से आपने ठाकुर परिवार के एक व्यक्ति के पारपत्र के माध्यम से भारत से विदा ली और सन् 1915 में जहाज द्वारा जापान रवाना हो गए। जब ब्रिटिश सरकार को विदित हुआ कि श्री रास बिहारी बोस जापान में हैं तो उन्हें सौंपने की मांग की। जापान सरकार ने इस मांग को मान भी लिया था किंतु जापान की अत्यंत शक्तिशाली राष्ट्रवादी संस्था ब्लेड ड्रैगन के अध्यक्ष श्री टोयामा ने श्री बोस को अपने यहां प्रश्रय दिया। दिसंबर 1911 में ‘दिल्ली दरबार’ के बाद जब भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की सवारी दिल्ली के चांदनी चौक में निकाली जा रही थी तब हार्डिंग पर बम फेंका गया परंतु वह बाल-बाल बच गए। युगांतर दल के सदस्य बसंत कुमार विश्वास ने हार्डिंग की बग्गी पर बम फेंका था, लेकिन निशाना चूक गया। बम फेंकने की इस योजना में रासबिहारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। बसंत तो पकड़े गए पर बोस ब्रिटिश पुलिस से बचने के लिए रातोंरात रेलगाड़ी से देहरादून चले गए और अगले दिन कार्यालय में इस तरह काम करने लगे मानों कुछ हुआ ही नहीं हो। अंग्रेजी प्राशासन को उनपर कोई शक न हो इसलिए उन्होंने देहरादून के नागरिकों की एक सभा बुलाई और वायसराय हार्डिंग पर हुए हमले की निंदा भी की। उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गदर की योजना बनाई और फरवरी 1915 में अनेक भरोसेमंद क्रांतिकारियों की सेना में घुसपैठ कराने की कोशिश में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मार्च, 1942 में टोक्यो में ‘इंडियन इंडीपेंडेंस लीग’ की स्थापना की और भारत की स्वाधीनता के लिए एक सेना बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया।

निधन

भारत को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्ति दिलाने का सपना लिए भारत माता का यह वीर सपूत 21 जनवरी, 1945 को परलोक सिधार गया। जापानी सरकार ने उन्हें ‘आर्डर आफ  द राइजिंग सन’ के सम्मान से अलंकृत किया था।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं? निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App