कब और क्यों जरूरी फिजियोथैरेपी

By: Jun 11th, 2017 12:05 am

अधिकांश लोग फिजियोथैरेपी को ‘एक और’ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से ज्यादा महत्त्व नहीं देते। कुछ इसके दायरे को मसाज तक सीमित कर देते हैं, तो कुछ इसे खेल के दौरान लगने वाली चोट को ठीक करने के लिए उपयोगी मानते हैं। फिजियोथैरेपी की उपयोगिता इससे कहीं ज्यादा है। क्यों और कब जरूरी है फिजियोथैरेपी आइए जानते हैं। अगर दवा, इंजेक्शन और आपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं, तो फिजियोथैरेपी के बारे में सोचना चाहिए। चिकित्सा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है। पर जानकारी की कमी व खर्च बचाने की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं। मरीज तभी फिजियोथैरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। फिजियोथैरेपी में न्यूरोलॉजी, हड्डी, हृदय, बच्चों व वृद्धों की समस्याओं के क्षेत्र से जुड़े खास एक्सपर्ट भी होते हैं। आमतौर पर फिजियोथैरेपिस्ट इलाज शुरू करने से पहले बीमारी का पूरा इतिहास देखते हैं। उसी के अनुसार आधुनिक इलेक्ट्रोथैरेपी जिसमें इलाज के लिए करंट का इस्तेमाल किया जाता है और स्ट्रेचिंग व व्यायाम की विधि अपनाई जाती है। मांसपेशियों और जोड़ में के दर्द से राहत के लिए फिजियोथैरेपिस्ट मसाज का भी सहारा लेते हैं। कई फिजियोथैरेपिस्ट दवाएं व इंजेक्शन भी देते हैं, जिसे डाक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए।

नियमित हो इलाज : फिजियोथैरेपी से कुछ दर्द में तो तुरंत आराम मिलता है पर स्थायी परिणाम के लिए थोड़ा वक्त लग जाता है। दर्द निवारक दवाओं की तरह इससे कुछ ही घंटों में असर नहीं दिखाई देता। खासकर फ्रोजन शोल्डर, कमर व पीठ दर्द के मामलों में कई सिटिंग्स लेनी पड़ सकती हैं। कई मामलों में व्यायाम भी करना पड़ता है और जीवनशैली में बदलाव भी। इलाज की कोई भी पद्धति तभी कारगर साबित होती है, जब उसका पूरा कोर्स किया जाए। फिजियोथैरेपी के मामले में यह बात ज्यादा मायने रखती है।

घुटनों का हो जब बुरा हाल : ग्रस्त घुटनों के इलाज में फिजियोथैरेपी, ऑथरेस्कोपी सर्जरी जितनी ही कारगर है। शोध में शामिल ऑर्थोपेडिक सर्जन डा. रॉबर्ट लिचफील्ड के अनुसार फिजियोथैरेपी में दर्द की मूल वजहों को तलाशकर उस वजह को ही जड़ से खत्म कर दिया जाता है। मसलन यदि मांसपेशियों में खिंचाव के कारण घुटनों में दर्द है तो स्ट्रेचिंग और व्यायाम के जरिए इलाज किया जाता है, पर यदि पैरों के खराब संतुलन की वजह से दर्द हो रहा है तो फिजियोथैरेपिस्ट ऑर्थोटिक्स अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि घुटनों के दर्द से निजात पाने में सर्जरी के 80 फीसदी मामले व्यायाम व फिजियोथैरेपी की कमी के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाते। कई मामलों में कूल्हे व घुटने के प्रत्यारोपण व फ्रेक्चर के बाद उनके रिहैबिलिटेशन में भी फिजियोथैरेपी लेने की सलाह दी जाती है। चिकित्सक भी कई मामलों में फिजियोथैरेपी जरूरी मानते हैं।

सिखाता है सांस लेने की कलाः फिजियोथैरेपी का दायरा सिर्फ मांसपेशियों और हड्डियों तक सीमित नहीं है। इसकी सीमा में वो तंत्रिकाएं भी आती हैं जो हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को नियंत्रित करती हैं। उदाहरण के तौर पर अस्थमा या किसी भी तरह के सांस के रोगों को ही लें। कार्डियोवस्कुलर फिजियोथैरेपिस्ट इस तरह के मरीजों को सांस रोकने और छोड़ने वाले व्यायाम या गुब्बारे फुलाने जैसे अभ्यास के जरिए ठीक करता है। वास्तव में इसके जरिए कार्डियोवस्कुलर फिजियोथैरेपिस्ट गर्दन और छाती की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग करवाते हैं, जिससे वह और मजबूत बनते हैं।

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