कर्ज माफी कोई हल नहीं

By: Jun 15th, 2017 12:02 am

किसान आंदोलन लगातार उग्र और व्यापक होता जा रहा है। अब यह चिंगारी पंजाब और हरियाणा तक भी पहुंच चुकी है। ये दोनों राज्य खेती और खाद्यान्न के गढ़ माने जाते रहे हैं, लिहाजा उन्हें देश में ‘अन्नदाता’ की उपमा भी हासिल है। हरियाणा के कांग्रेसी किसान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर जमा हुए और आंदोलन की रूपरेखा घोषित कर दी गई। आने वाली 16 जून को हरियाणा के किसान नेशनल हाई-वे जाम करेंगे, यह ऐलान किया गया है। दिल्ली चारों ओर से हरियाणा के शहरों और गांवों से घिरी है। यदि मुनक नहर से पानी दिल्ली को न मिले, तो राष्ट्रीय राजधानी प्यासी मर सकती है। संभावना यह जताई जा रही है कि जो जाट आरक्षण आंदोलन स्थगित पड़ा था, अब वह किसान आंदोलन के रूप में नए सिरे से भड़क सकता है। हरियाणा में किसानी पर जाटों का ही वर्चस्व है। उधर, पंजाब में 7 किसान पहले ही आत्महत्या कर चुके हैं, लिहाजा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने बयान देकर आश्वस्त करने की कोशिश की है कि किसानों के कर्ज माफ  किए जाएंगे। अभी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह का बयान नहीं आया है। इनके अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों में भी कर्ज माफी की आवाजें गूंज रही हैं। कर्ज माफी किसान आंदोलन को शांत रखने का एक जरिया है या किसानों के संकट का स्थायी हल इससे निकल सकता है? इस सवाल पर चिंतित विमर्श जारी है कि आखिर कर्ज माफी के लिए पैसा कहां से आएगा? यदि कर्ज माफी के लगातार सिलसिलों से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई और हालात घातक साबित होने शुरू हुए, तो एक और नई समस्या का उभार तय है। देश का वित्तीय घाटा भी बढ़ सकता है। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डा. एमएस स्वामीनाथन के नेतृत्व में गठित आयोग भी लगातार कर्ज माफी के पक्ष में नहीं था। इस मुद्दे को कारपोरेट बनाम कृषि के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों की उत्पादन क्षमताएं भिन्न हैं। खेती के साथ कई अनिश्चितताएं भी चिपकी हैं। बहरहाल सवाल तो यह है कि आखिर कर्र्ज माफी और किसानों के आक्रोश से निपटा कैसे जाए? केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो कर्ज माफी से हाथ झाड़ लिये हैं और साफ  कहा है कि राज्य अपने बूते संसाधन जुटाएं और किसानों के कर्ज माफ  करें। केंद्र किसी भी राज्य की आर्थिक मदद नहीं कर सकता। सिर्फ  पंजाब का उदाहरण ही लें। पंजाब पर करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। यह बादल सरकार विरासत में छोड़ गई है, लेकिन अमरेंदर सरकार उससे कन्नी नहीं काट सकती। अब यह नई सरकार पर बोझ है। यदि किसान कर्र्ज माफी के नाम पर पंजाब सरकार 30-35,000 करोड़ रुपए स्वाहा कर देती है, तो पंजाब की अर्थव्यवस्था पूरी तरह घुटनों पर आ जाएगी। दरअसल 2016-17 में किसानों पर कुल कर्ज करीब 9.6 लाख करोड़ रुपए है। कृषि विज्ञानी देविंदर शर्मा के मुताबिक, 2016 में किसानों पर कुल कर्र्ज 12 लाख 60 हजार करोड़ रुपए था। वह भी सरकारी रिकार्ड का दावा करते हैं। बहरहाल कर्ज कुछ भी हो, किसान की हालत खस्ता, बदतर है और आत्महत्या के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। उन्हें इन हालात में देश की सत्ता छोड़ नहीं सकती। उद्योग भी राज्य का विषय हैं, लेकिन उनके लिए बेलआउट पैकेज केंद्र सरकारें कैसे और क्यों देती रही हैं? दूसरी ओर, यदि कर्ज माफ  करने का दौर जारी रहता है, तो फिर राष्ट्रीय योजनाएं और उनके जरिए चौतरफा विकास प्रभावित होंगे। दरअसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसल न खरीदना ही बुनियादी समस्या है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ  6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी के दाम नसीब हो पाते हैं। शेष 94 फीसदी किसान एमएसपी से 30-40 फीसदी कम दाम पर फसल बेचने को विवश हैं। नतीजतन घाटे की निरंतरता स्वाभाविक है। अब मध्यप्रदेश सरकार ने एमएसपी पर फसल न खरीदने को ‘अपराध’ घोषित किया है, तो व्यापारी और आढ़ती खड़े हो गए हैं। वहां मंडियों को अनिश्चितकाल तक बंद रखने का ऐलान किया गया है। तो इस तरह संकट का हल कैसे हासिल किया जा सकेगा? एक आंकड़ा सामने आया है कि बीते 10 सालों में करीब 77 लाख किसानों ने खेती छोड़ी है। चूंकि अब नई पीढ़ी में खेती कोई लाभ का धंधा नहीं है, लिहाजा किसान के बच्चे गांव छोड़ कर शहर को पलायन कर रहे हैं। यही विश्व बैंक,आईएमएफ  और हमारी सरकारों की सोच रही है कि ज्यादातर लोग गांव छोड़ कर शहर में आएं और अपने लिए नए धंधे तैयार करें। इस तरह करोड़ों किसान खेती छोड़ कर शहर आ सकते हैं और मजदूरी भी कर सकते हैं। कमोबेश उनकी दिहाड़ी मिलना तो तय होगा। अनुमान है कि 2022 तक ऐसे करीब 30 करोड़ ‘दिहाड़ीदार’ भारत में होंगे। यदि रुझान यही रहा, तो खेती का क्या होगा? लिहाजा फिलहाल कर्र्ज माफी के जरिए माहौल को शांत किया जाए, लेकिन स्वामीनाथन आयोग ने जो सिफारिशें की थीं, उन्हें गंभीरता से लागू किया जाए। संकट का स्थायी हल उन्हीं से मिल सकता है।।

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