कहीं सूख न जाए वट वृक्ष

By: Jun 29th, 2017 12:10 am

newsभरवाईं  —  विश्व विख्यात शक्तिपीठ चिंतपूर्णी मंदिर परिसर में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र वट वृक्ष का अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। मंदिर परिसर में स्थित इस वट वृक्ष की ग्रोथ पर संकट आ चुका है। इस कारण मंदिर परिसर में इस वट वृक्ष के चारों ओर लगाया गया संगमरमर (मारबल) माना जा रहा है। इसके चलते वट वृक्ष का फैलाव लंबे समय से रुका हुआ है। हालांकि आस्था के वृक्ष की जड़ें कई जगह पर बाहर निकलने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन यहां पर लगे मारबल के चलते यह बाहर नहीं निकल पा रही हैं। इसके चलते कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी भविष्य में तो इस वट वृक्ष का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। हालांकि मंदिर प्रशासन भी इस बात से भलीभांति अवगत है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई भी उचित कदम नहीं उठाए गए हैं। प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में स्थित इस वट वृक्ष के साथ लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई हैं। चिंतपूर्णी मंदिर आने वाले अधिकतर श्रद्धालु यहां पर शीश नवाना नहीं भूलते हैं। बाकायदा आस्था के प्रतीक इस वट वृक्ष के साथ अपनी मनोकामना मांगने के साथ ही यहां पर मौली (लाल धागा) बांधना नहीं भूलते हैं। मान्यता है कि चिंतपूर्णी में श्रद्धालु की मनोकामना जब पूरी हो जाती है तो यहां पर दोबारा श्रद्धालु आकर मां के दर्शन करते हैं, साथ ही बट वृक्ष के साथ बांधी गई मौली खोलना नहीं भूलते हैं। देश-विदेशों के श्रद्धालुओं की आस्था इस वट वृक्ष के साथ जुड़ी हुई है, लेकिन हल्की सी कोताही श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा सकती है।

क्या कहते हैं पुजारी

पुजारी रोहिन कालिया, महेश कालिया, अभिषेक, हितेश व दीपक कालिया का कहना है कि मंदिर प्रशासन को इस ऐतिहासिक वट वृक्ष के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जमीन पर मारबल होने के कारण इस वट वृक्ष की जड़ों को मिट्टी नसीब नहीं हो पा रही है, जिस कारण वट वृक्ष का पोषण रुक गया है। मारबल उखाड़ा तो कीचड़ ही कीचड़ होगा चिंतपूर्णी में स्थित आस्था के इस प्रतीक वट वृक्ष को क्या इंद्र देव के अलावा कोई और भी पानी देता है या फिर आस्था का प्रतीक यह पेड़ इंद्र देव पर ही निर्भर है। स्थायी पानी का प्रबंध होना चाहिए। मंदिर प्रशासन को भी यह एहसास हो चुका है कि इस वट वृक्ष को फैलने के जगह नहीं मिल पा रही है। प्रशासन भी इस असमंजस में है कि यदि मारबल को उखाड़ दिया जाए तो यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होने पर भारी भरकम कीचड़ होगा। इससे समस्या और बढ़ सकती है, लेकिन जल्द ही प्रशासन इस बारे में पुजारी वर्ग से बातचीत करेगा।

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