क्षेत्रवाद की जकड़न में प्रदेश की संभावनाएं

By: Jun 16th, 2017 12:02 am

सूरज धीमान

लेखक, वसुधा संस्था के चेयरमैन  हैं

newsधर्मशाला को विश्वस्तर की स्पोर्ट्स सिटी के तौर पर विकसित किया जा सकता है। पालमपुर और मनाली में फिल्म सिटी का निर्माण किया जा सकता है। सोलन और हमीरपुर को शिक्षा के हब के रूप में और अच्छे से विकसित किया जा सकता है…

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की हालत दिन-प्रतिदिन गंभीर ही होती जा रही है। ऐतिहासिक शहर में पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत अनियोजित गतिविधियों, पर्यटन संसाधनों पर दबाव, बेतरतीब विकास, नियमों की कमी, यातायात अव्यवस्था, बेतरतीब निर्माण से ग्रस्त है और स्थानीय लोगों में जागरूकता की कमी भी साफ जाहिर होती है। दो प्रतिशत इमारतें ही शिमला की सुरक्षित हैं। यह शहर दुनिया भर में अपनी अनूठी विरासत और खूबसूरती के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन जो हालत आज के शिमला के हो गए हैं, वह बहुत चिंतनीय है। लगातार हो रही वनों की कटाई अप्रिय माहौल, खुली जगह में कमी और विरासत की लगातार नुकसान में हुई है। हिमाचल प्रदेश का ज्यादातर इलाका पहाड़ी है इसलिए यहां परिवहन सुविधाओं का विकास करना बहुत मुश्किल है। शिमला के साथ-साथ हिमाचल के सभी शहरों का हाल बेहाल होता जा रहा है। पीने के पानी की कमी, ठोस कचरा प्रबंधन, अनियमित विकास, पार्किंग जैसी समस्या बढ़ती ही जा रही है।  समय की मांग है कि सरकार वोट बैंक की राजनीतिक दृष्टि को छोड़ कर हिमाचल के सतत विकास की ओर ध्यान दे।  राजनेताओं को क्षेत्रीय राजनीति छोड़ कर एक साथ सामने आना पड़ेगा, तभी कुछ अलग देखने को मिलेगा। 36000 हजार करोड़ का कर्ज हिमाचल के सिर पर पहले ही हो गया है। आज प्रदेश को नए आय के साधन खोजने की जरूरत है। सुंदरनगर प्रदेश के केंद्र में स्थित होने के साथ-साथ उत्कृष्ट मॉडल स्थान पर है। सुंदरनगर में भौगोलिक बाधाएं न के बराबर हैं मौसम के लिहाज से भी अति उत्तम स्थान है जमीन पानी की कोई कमी नहीं है। पर्यावरण के लिहाज के मुताबिक परिवहन सुविधाएं, लोगों को आधुनिक रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है।

नई राजधानी को पूरी तरह जापान के शहरों के जैसे भूकंप रोधी बनाया जा सकता है। सुंदरनगर को हिमाचल प्रदेश की आदर्श राजधानी और विश्वस्तरीय शहर बनाया जा सकता है, जिसका लाभ प्रदेश के लोगों को हो सकता है। पहले भी कई बार यह मांग उठती रही, लेकिन यह क्षेत्रीय राजनीति के कारण हो नहीं पाया। मंडी जिला के नेरढांगू में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण करवा कर राजधानी को सीधे तौर पर उस से जोड़ा जा सकता है। थोड़ी बहुत कसर फोरलाइन पूरा कर देंगे। क्या पता रेलवे का सपना हिमाचल का जल्दी ही पूरा हो जाए तो फिर इस महत्वाकांक्षी विचार में चार चांद लग जाएंगे। पिछले कुछ समय में भारत ने मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान बनाई है। हर साल अनेक देशों के नागरिक भारत में इलाज करवाने आत हैं। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बन जाने से हिमाचल इस क्षेत्र में काम कर के बहुत बड़ी मिसाल कायम कर सकता है। लोगों को अच्छा रोजगार दिया जा सकता है। हिमाचल के जंगलों में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलती हैं। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय को स्थापित करके सस्ती और स्वास्थ्य के लिए उत्तम चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा सकती है। सूचना प्रौद्योगिक पार्क को भी राजधानी में स्थापित किया जा सकता है, जिससे हिमाचल का पढ़ा-लिखा युवा आसानी से अपने राज्य में काम कर सकता है।

भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान मंडी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर और भारतीय प्रबंधन संस्थान सिरमौर के सामूहिक सहयोग से राजधानी में तकनीकी पार्क स्थापित कर बहुत काम किया जा सकता है। धर्मशाला सहित और भी पर्यटक स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से चमकाया जा सकता है। धर्मशाला को विश्वस्तर की स्पोर्ट्स सिटी के तौर पर विकसित किया जा सकता है। पालमपुर और मनाली में फिल्म सिटी का निर्माण किया जा सकता है। सोलन और हमीरपुर को शिक्षा के हब के रूप में और अच्छे से विकसित किया जा सकता है। आज भी हिमाचल के सभी जिलों में नगिनित छिपे हुए पर्यटन स्थल हैं, जिनको विकसित किया जा सकता है, जो कि आय का बड़ा साधन बन सकते हैं। हिमाचल की प्राकृतिक संसाधनों पर अनुसंधान करके उनसे बने प्रोडक्ट्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतारा जा सकता है। इसमें बड़े स्तर पर रोजगार लोगों को दिए जा सकते हैं। इसमें कृषि विश्वविद्यालय और बागबानी विश्वविद्यालय अपना महत्त्वपूर्ण सहयोग दे सकते हैं। वैसे ही ऊना, सिरमौर और बद्दी में बड़े स्तर पर औद्योगिक टाउन विकसित हो सकते हैं। शहरों में खास करके आधुनिक पब्लिक परिवहन पर बहुत ध्यान देने की जरूतर है, ताकि लोग आराम से इसका फायदा उठा सकें अपनी गाडि़यों का कम से कम उपयोग करे। जरूरत है तो हौसले, क्षेत्रीय राजनीति को त्यागने और विजन की, बाकी रही पैसों की बात वे भी आ ही जाएंगे, पहले ब्लूप्रिंट तो बने।

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