गिरि नदी के तट पर बसा है यशवंत नगर

By: Jun 21st, 2017 12:05 am

‘गौड़ा’ जो पटियाला रियासत के क्षेत्र में था, गिरि नदी के तट पर रमणीक स्थान है। गिरि नदी के तट पर ‘यशवंत नगर’ भी बसा है। आज यह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र बन गया है, समीप ही पलाशला-मरेवग स्थान है। यहां से गिरि नदी सिरमौर में प्रवेश कर इस क्षेत्र के दो भाग बनाती है…

हिमाचल की नदियां

पाताल नदी : ‘पाताल नदी’  जो  इस स्थान पर त्रिवेणी संगम बनाती है, चूड़धार से निकलती है। चूड़धार शिमला, सोलन, सिरमौर और साथ लगते उत्तराखंड की रण जौनसार बाबर क्षेत्र के लोगों की तीर्थ स्थली है। यहां शिरगुल (श्रीकुल) शिव के अवतार हुए हैं। गिरि नदी ‘बलग’ के समीप नेरी पुल से गुजरती है और यहीं पर सिरमौर, शिमला और सोलन जिलों की सीमा बन जाती है।  ‘गौड़ा’ जो पटियाला रियासत के क्षेत्र में था, गिरि नदी के तट पर रमणीक स्थान है। गिरि नदी के तट पर ‘यशवंत नगर’ भी बसा है। आज यह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र बन गया है, समीप ही पलाशला-मरेवग स्थान है। यहां से गिरि नदी सिरमौर में प्रवेश कर इस क्षेत्र के दो भाग बनाती है। दोनों ओर घने वन और सुंदर हरियाली है। यहीं पर ‘चोकी भनोग’ गुरु जवाहर सिंह जी सिखों की उपासना स्थली है। यहां गुरु को झल्ला कहते हैं। यहां से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर बडू साहब गुरुद्वारा है, जहां कभी गुरु गोबिंद सिंह जी आए थे। गिरि नदी जब रेणुका तहसील के संगड़ाह क्षेत्र को स्पर्श करती है तो वहां पर गिरि पर लोक गीतों-नृत्यों की भरमार है। गिरि नदी पर स्थित ददाहू में मां रेणुका की प्रसिद्ध पवित्र झील है। यह परशुराम का आराधना स्थल है तथा मां रेणुका की तपोस्थली रही है। यहीं ‘जामू की धार’ पर जमदग्नि ऋषि का स्थान है। इस नदी के किनारे सतौन के सामने सिरमौरी ताल एक ऐतिहासिक स्थान है। जटोण में गिरी नदी पर विद्युत बांध बना है, जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था। यहां से आगे जाकर यह डाक पत्थर नामक स्थान पर यमुना में समा जाती है। पब्बर नदी का उद्गम स्थल ‘चंद्रनाहन नामक झील’ है। यह झील रोहड़ू उपमंडल के अंतिम गांव जांगलिक से लगभग चालीस किलोमीटर दूर समुद्र तल से लगभग 4267 मीटर ऊंचे चांसल दर्रे की पर्वत शृंखलाओं के मध्य स्थित है। चंद्रनाहन झील से पब्बर एक जलधारा के रूप में पहाड़ों के भीतर प्रवाहित होती हुई वींगू नामक पहाड़ के पार्श्व से होकर माइला गांव में ‘माइला खड्ड’ से मिलकर नदी के रूप में प्रकट हुई है। यहां से यह नदी दक्षिण-पश्चिम में दिऊदी, बरशील, धमवाड़ी, गुम्मा, संदासू गांवों के पास से होती हुई चिड़गांव पहुंचती है, जहां पर आंध्रा नामक खड्ड (जिस पर आंध्रा प्रोजेक्ट बना है), इसमें मिलती है और पब्बर एक विस्तृत आकार धारण कर आगे बढ़ती है।

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